टिक्करताल की तर्ज पर सुल्तानपुर और भिंडावास में भी शुरू होगा होम स्टेः मुख्यमंत्री मनोहर लाल

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रकृति की गोद में केवल मनुष्यों का निवास है, ऐसा नहीं है बल्कि हमारे इर्द-गिर्द वन्य प्राणी, जीव-जंतु, वृक्ष मौजूद हैं. इनका समन्वय करके चलेंगे तो हमारा जीवन सुखी होगा. यह पृथ्वी हम सबकी है.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल (Photo Credits: Facebook)

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रकृति की गोद में केवल मनुष्यों का निवास है, ऐसा नहीं है बल्कि हमारे इर्द-गिर्द वन्य प्राणी, जीव-जंतु, वृक्ष मौजूद हैं. इनका समन्वय करके चलेंगे तो हमारा जीवन सुखी होगा. यह पृथ्वी हम सबकी है. मुख्यमंत्री बुधवार को गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित वर्ल्ड वेटलेंट डे (विश्व आर्द्रभूमि दिवस) के कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री अश्विनी चौबे, हरियाणा के वन एवं शिक्षा मंत्री श्री कंवरपाल भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथ्वी और पानी दोनों का समन्वय बैठाना बहुत आवश्यक है. जहां-जहां वेटलेंड हैं, उन स्थानों पर देश और दुनिया से पक्षी आते हैं. हरियाणा में सुल्तानपुर और भिंडावास झील पर हजारों पक्षी दूसरे देश और प्रदेशों से आते हैं.

सुल्तानपुर में 100 से अधिक प्रजाति के 50 हजार पक्षी हर वर्ष पहुंचते हैं. इसी तरह भिंडावास में 80 से अधिक प्रजाति के 40 हजार पक्षी हर वर्ष आते हैं. भिंडावास में तो 100 से अधिक स्थानीय प्रजाति के पक्षी पाए भी जाते हैं. उन्होंने कहा कि बहुत से पर्यटक यहां आते हैं. इनके ठहराव को लेकर योजना बनाने पर विचार किया जा रहा है. पिछले दिनों टिक्करताल के लिए होम स्टे पॉलिसी बनाई गई है. उसी तर्ज पर इन दोनों झील के आसपास के गांव में भी होम स्टे शुरू किया जाएगा. इससे पर्यटक हरियाणवी संस्कृति और ग्रामीण दर्शन कर सकेंगे. संकल्प लें हम प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करेंगे मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि उपयोग किया गया पानी जब वेटलेंड में जाता है तो वहां मौजूद पशु व पक्षी उस पानी की सफाई करते हैं और फिर वह पानी दोबारा इस्तेमाल लायक होता है. आज केवल वेटलेंड डे नहीं है संकल्प का दिन है कि हम प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करेंगे.

प्रकृति एक ऐसा विषय है, जिसमें संतुलन बना रहेगा तो हमारा जीवन स्वस्थ रहेगा और हम लंबे जीवन की कल्पना कर सकते हैं. विकास के नाम पर हम कई बार प्रकृति से खेलते भी हैं लेकिन आज उन संस्थाओं का भी आभार है, जो प्रकृति को बचाने के लिए अपनी भूमिका निभाते हैं. पेड़ों की पेंशन देने वाला हरियाणा देश का एकमात्र राज्य मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्राचीन काल में पशु-पक्षिओं और वृक्षों की पूजा का भाव समाज में रहता था. आज हम गंगा और तुलसी को माता कहते हैं, पीपल की पूजा करते हैं. हरियाणा में पेड़ को पेड़ नहीं कहा है बल्कि प्राणवायु देवता कहा है. कोरोना काल के दौरान जब ऑक्सीजन का संकट देखा तो इस वर्ष लगने वाले वनों को ऑक्सीवन का नाम दिया गया. यही नहीं हमारी सरकार ने 75 वर्ष पूरा कर चुके पेड़ों की देखरेख करने वाले परिवार या संस्था को 2500 रुपये सालाना पेंशन देने का काम किया है. हरियाणा एकमात्र प्रदेश है, जहां पेड़ों की भी पेंशन दी जा रही है.

प्रदेश के सभी तालाबों का किया जाएगा कायाकल्प

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने हरियाणा में तालाबों के कायाकल्प के लिए हरियाणा तालाब और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण बनाया है. प्रदेश में लगभग 18 हजार तालाब हैं. पहले तालाबों में शिल्टिंग होती थी और चिकनी मिट्टी की परत को निकाल दिया जाता था. इसके बाद तालाब ओवरफ्लो नहीं होते थे और पानी की रिचार्जिंग होती थी लेकिन आज प्रदेश में 6 हजार तालाब ऐसे हैं जो बारिश के दौरान ओवरफ्लो हो जाते हैं. तालाब प्राधिकरण के माध्यम से इस वर्ष 1900 तालाबों की सफाई करवाई जाएगी, अगले वर्ष ढ़ाई हजार तालाब लिए जाएंगे. एक-एक करके प्रदेश के सभी तालाबों से गंदगी निकालकर उनका कायाकल्प किया जाएगा.

मुख्यमंत्री के प्रयासों से सुल्तानपुर झील के आसपास के गांवों में आएगा परिवर्तनः भूपेंद्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने उनके निमंत्रण पर सुल्तानपुर झील का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने इको विकास और इको टूरिज्म का संकल्प लिया है, इससे निश्चित रूप से सुल्तानपुर झील के आसपास के गांवों में परिवर्तन आएगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जंगल हमारे फेफड़ें हैं तो वेटलेंड हमारी किडनी हैं. उनके विभाग ने देश की 49 झीलों को रामसर साइट में दर्ज करवाया है, जिसमें हरियाणा की सुल्तानपुर और भिंडावास झील भी शामिल की गई हैं . भविष्य में देश की 75 झीलों को इसमे दर्ज करवाने के लिए काम किया जाएगा. हमें इन झीलों के सौंदर्यकरण और इन्हें बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए. उनका विभाग जमीनी स्तर पर काम कर रहा है, तभी पर्यावरण से जुड़े अलग-अलग दिवस उन्हीं क्षेत्रों में मनाए जा रहे हैं, जहां से उनका कोई न कोई संबंध है. जलवायु परिवर्तन हमारे लिए बड़ी चुनौती है, इसी वजह से भारत सरकार ने

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