कोच्चि, 9 अगस्त: केरल उच्च न्यायालय ने बलात्कार के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि कोई भी सेमी-अनकॉन्शस (अर्द्ध-बेहोशी) महिला सेक्स के लिए सहमति नहीं दे सकती है. यह भी पढ़े: Kerala Boat Tragedy: मलप्पुरम नाव हादसे पर केरल हाईकोर्ट सख्त, कहा- ऐसी घटनाएं दोहराई जा रही हैं, हम इसे भूलने नहीं देंगे
एससी/एसटी अधिनियम अपराधों से निपटने वाली एक विशेष अदालत ने पहले आरोपी की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा था उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप है कि अनुसूचित जाति समुदाय की एक महिला के केक और पानी की बोतल में कुछ हानिकारक (नशीला) पदार्थ मिलाकर आरोपी ने सेमी-अनकॉन्शस हालत में महिला से बलात्कार किया.
न्यायालय ने कहा, “आरोपी ने महिला को केक और पानी की बोतल देने के बाद उसके साथ बलात्कार किया था, जब वह अर्द्धबेहोशी की हालत में थी इसमें यह नहीं कहा जा सकता कि इसमें आपसी सहमति थी
कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में आरोपी के खिलाफ आरोप सही साबित होते हैं इसलिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत यह जमानत याचिका खारिज होती है अपीलकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया कि वह और शिकायतकर्ता एक रिश्ते में थे और उनके रिश्ते में तनाव आने के बाद उसने झूठी बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई है.
अभियोजन पक्ष ने हालांकि कहा कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को कुछ नशीला तरल पदार्थ पिलाकर बलात्कार किया था, जिससे वह अर्द्धबेहोश हो गई थी अभियोजन पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्ति ने पहले भी उसे धमकी दी और उसके साथ बलात्कार किया सरकारी वकील ने बताया कि भले ही शिकायतकर्ता और अपीलकर्ता के बीच कोई संबंध था, लेकिन बलात्कार का आरोप कायम रहेगा.
इस बीच, शिकायतकर्ता और अपीलकर्ता के बीच फोन कॉल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी कोर्ट में पेश की गई जिसमें अपीलकर्ता के वकील ने यह दावा किया कि यह आपसी सहमति से हुआ था सब कुछ देखने के बाद, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया में मामला बनता है इसलिए अग्रिम जमानत के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी गई.