कोलकाता, 13 अप्रैल: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को सलाह दी कि वह संविदा नागरिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति के बजाय पुलिस बलों में अधिक नियमित भर्ती करे. न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा, राज्य में मुख्य समस्या नियमित पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की कमी है. यानी संविदा नियुक्तियों पर निर्भरता बढ़ रही है. नागरिक स्वयंसेवक नियमित पुलिस कर्मियों की भूमिका निभा रहे हैं. नियमित पुलिस कर्मियों उप-निरीक्षकों, सहायक उप-निरीक्षकों और कांस्टेबलों के रैंक की भर्ती का कोई विकल्प नहीं है. यह भी पढ़ें: West Bengal: कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव एक बुजुर्ग की मौत
इस सिलसिले में जस्टिस मंथा ने पिछले साल छात्र नेता अनीस खान की रहस्यमयी मौत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से अनीस खान की मृत्यु की रात, दो नागरिक स्वयंसेवक उनके आवास पर गए. गौरतलब है कि पिछले साल 19 फरवरी को अनीस खान कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के अमता में अपने आवास पर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे. उसके परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उसे मार डाला. राज्य पुलिस ने अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अतिरिक्त महानिदेशक ज्ञानवंत सिंह के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच शुरू की.
एसआईटी के सदस्यों ने इस सिलसिले में एक होमगार्ड और सिविक वालंटियर को भी गिरफ्तार किया है. पिछले महीने ही, कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा फटकारने पर बंगाल पुलिस निदेशालय ने पुलिस से संबंधित गतिविधियों में नागरिक स्वयंसेवकों की भूमिका को परिभाषित किया और दिशानिर्देश जारी किए.
शनिवार को निदेशालय द्वारा जारी दिशा-निदेशरें के तहत, नागरिक स्वयंसेवक दुर्गा पूजा, क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या जैसे विशेष त्योहारों के अवसर पर यातायात प्रबंधन और अन्य संबंधित कर्तव्यों में पुलिस कर्मियों की सहायता करेंगे। अदालत का निर्देश नागरिक स्वयंसेवकों के एक वर्ग द्वारा ज्यादती की लगातार शिकायतों के बाद आया. कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस में 2012 में नागरिक स्वयंसेवकों का पद सृजित किया गया था. मुख्यमंत्री कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार, वर्तमान में राज्य में 1,19,916 नागरिक स्वयंसेवक हैं.