Hatching Process of Alligator: आगरा में हेंचिंग प्रक्रिया हुई शुरू, 190 घड़ियालों के बच्चे अंडों से निकलकर चंबल नदी में उतरे (Watch Video)
Credit-(X,@bstvlive)

आगरा, उत्तर प्रदेश: आगरा में चंबल नदी के किनारे 190 घड़ियालों ने अंडे दिए थे. अब इसकी हेचिंग प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसमें हजार के करीब छोटे घड़ियाल अंडो से निकलकर चंबल नदी में जा चुके है. उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में शुमार चंबल एक बार फिर जैवविविधता की अद्भुत मिसाल बनी है. आगरा के चंबल नदी तट पर घड़ियालों की हैचिंग प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है और अब तक 1000 से अधिक घड़ियाल के बच्चे अंडों से निकल चुके हैं.मादा घड़ियालों ने चंबल के रेत पर अंडे दिए थे, जिनकी वे बेहद सतर्कता से सुरक्षा कर रही थीं.इन अंडों से अब नन्हे घड़ियाल बाहर आने लगे हैं, और यह नज़ारा न केवल रोमांचकारी है बल्कि प्रकृति के संतुलन का भी प्रतीक है.अंडों से बाहर निकलते ही ये नन्हे घड़ियाल नदी की धारा में खेलते, तैरते और मस्ती करते नज़र आ रहे हैं.

यह दृश्य न केवल पर्यावरणविदों बल्कि आम नागरिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है. इसका वीडियो को सोशल मीडिया X पर @bstvlive नाम के हैंडल से शेयर किया गया है.ये भी पढ़े:Barabanki Crocodile Attack: घड़ियाल को रेस्क्यू करने गए मछुआरे पर जानलेवा हमला, वन विभाग ने बिना सुरक्षा के नहर में भेजा, बाराबंकी जिले का वीडियो आया सामने (Watch Video)

अंडों से निकले छोटे घड़ियाल 

वन विभाग की सतर्क निगरानी में चल रही प्रक्रिया

हेंचिंग स्थल पर वन विभाग की टीमें लगातार निगरानी बनाए हुए हैं.अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संभावित खतरे से इन नन्हे जीवों को बचाने के लिए सुरक्षा उपाय सक्रिय हैं. क्षेत्र में गश्त भी तेज कर दी गई है.

चंबल घड़ियालों की सुरक्षित नर्सरी

चंबल नदी को वर्षों से घड़ियालों के लिए एक सुरक्षित प्रजनन क्षेत्र माना जाता रहा है. यहां का शांत वातावरण, स्वच्छ जल और रेतीले तट इन जलचरों के अंडे देने और बच्चों के विकास के लिए आदर्श स्थितियां प्रदान करते हैं.

1225 घड़ियालों के बच्चों की पुष्टि

वन विभाग द्वारा हाल ही में साझा की गई जानकारी के अनुसार, चंबल नदी में कुल 1225 घड़ियालों के बच्चे देखे गए हैं. यह आंकड़ा घड़ियाल संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता मानी जा रही है.घड़ियालों की बढ़ती संख्या न केवल प्रजनन सफलता का संकेत है, बल्कि चंबल के इकोसिस्टम की स्वस्थ स्थिति का भी प्रमाण है. वन विभाग ने इसे जैव विविधता की दिशा में आशाजनक कदम बताया है.