नई दिल्ली, 2 नवंबर : भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और मल्लिकार्जुन खड़गे उन बदलावों से बेखबर हैं, जिन्होंने भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाया है. केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई पोस्ट किए. उन्होंने कहा, "बैंकों और बीमा कंपनियों समेत 81 सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले तीन वर्षों में 225 प्रतिशत बढ़ा है, जिसका श्रेय सरकार की बढ़ती पूंजीगत व्यय और बेहतर पूंजी प्रबंधन को दिया जा सकता है. सार्वजनिक उपक्रमों के लाभांश में वृद्धि हुई है. गैर-कर राजस्व जुटाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को वस्तुओं और वस्तुओं की कीमतों पर झूठी अफवाहें फैलाना बंद करना चाहिए. उन्हें यह जानकर निराशा होगी कि भारत की मुद्रास्फीति दर 2023 में वैश्विक औसत से 1.4 प्रतिशत कम थी. वित्त वर्ष 2024 में मुख्य सेवाओं की मुद्रास्फीति 9 साल के निचले स्तर पर है. आरबीआई को वित्त वर्ष 2025 में 4.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 में 4.1 प्रतिशत हेडलाइन मुद्रास्फीति की उम्मीद है. यह भी पढ़ें : Karnataka: एचडी कुमारस्वामी केवल चुनाव से पहले आंसू बहाते हैं; डीके शिवकुमार
जबकि कांग्रेस की पुरानी सरकारें 'गरीबी हटाओ' को एक खोखले नारे के रूप में इस्तेमाल करती थीं. मोदी सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 1 जनवरी, 2024 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को 11.8 लाख करोड़ रुपये की लागत से मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है.
कांग्रेस जरूरी खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी को लेकर झूठ बोलती रहती है. वे यह नहीं जानते कि दालें, चावल, आटा आदि जैसी वस्तुएं, जब खुले रूप में बेची जाती हैं, तो जीएसटी से पूरी तरह मुक्त होती हैं. पैकेज्ड और लेबल वाले रूप में केवल 5 प्रतिशत की रियायती जीएसटी लगती है.
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मैं एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष से अनुरोध करूंगा कि वे परिवार के उत्तराधिकारी को बेरोजगारी के मानदंड के रूप में और अपनी पार्टी के खजाने को औसत भारतीयों की घटती बचत के संकेतक के रूप में देखना बंद करें.
सच यह है कि महामारी के बाद घरेलू क्षेत्र की समग्र बचत की संरचना में बदलाव आया है. जबकि कुल बचत में वित्तीय बचत का हिस्सा 2019-20 में 40.3 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 28.5 प्रतिशत हो गया है, वहीं इसी अवधि के दौरान भौतिक बचत का हिस्सा 59.7 प्रतिशत से बढ़कर 71.5 प्रतिशत हो गया है.
पिछले दशक में, परिवारों ने सकल वित्तीय बचत की अपनी होल्डिंग्स में भी विविधता लाई है. भविष्य निधि और पेंशन फंड में रखी गई घरेलू बचत का हिस्सा 2011-12 में 10 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 21 प्रतिशत हो गया है. वर्ष 2011-12 और 2022-23 के बीच देश भर में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में असमानता कम हुई हैं.
हरदीप सिंह पुरी ने एक और पोस्ट में कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे की पार्टी 'खाने-कमाने' में इतनी मशगूल है कि उसने अपने शासनकाल में कई घोटाले किए, जिससे आगे देखने की उसकी क्षमता खत्म हो गई है. यह चुनिंदा भूलने की बीमारी से ग्रस्त है. यह भूल जाती है कि नीरव मोदी प्रकरण का मूल पाप 2011 में उसके शासन में हुआ था.
यूपीए शासन के दौरान, अदाणी समूह को 72 हजार करोड़ का ऋण दिया गया था. उनके ही शासन के दौरान अंबानी समूह को 1 लाख 13 हजार करोड़ का ऋण मिला था. 2012 में 1 हजार 457 करोड़ का ऋण न चुकाने के बावजूद, विजय माल्या के समूह को 1 हजार 500 करोड़ का ऋण और दे दिया गया. 2005 से 2013 तक यूपीए सरकारों ने बड़े उद्योगपतियों के 36.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए.
2005-6 की तुलना में 2012-13 में खराब (बैड) ऋणों की दर में 132 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर यह मोदी सरकार है, जिसने लोगों का पैसा वसूलना शुरू कर दिया. भगोड़े आर्थिक अपराधियों विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की संपत्तियों की बिक्री से 22 हजार 500 करोड़ में से 13 हजार 109 करोड़ प्राप्त हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र की कायापलट कर दी है. 10 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के खराब (बैड) ऋण वसूल किए गए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने एक और पोस्ट में कहा कि झूठ, मनगढ़ंत आंकड़ों और फर्जी डेटा पर आधारित सोशल मीडिया नीति का कांग्रेस पार्टी का क्लासिक शूट एंड स्कूट ब्रांड फिर से सक्रिय हो गया है. यहां तक कि उनके वरिष्ठ नेता भी अपनी भ्रामक राय सार्वजनिक करने से पहले तथ्यों की जांच नहीं करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. रोजगार में लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे 2016-17 और 2022-23 के बीच लगभग 17 करोड़ नौकरियां जुड़ी हैं.
मैं उन्हें यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि भारत की आर्थिक प्रगति सभी प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर रोजगार सृजन को दर्शाती है. हम बहुत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर हैं, जबकि 2014 में उनके प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों और नीतियों ने हमें 11वें स्थान पर छोड़ दिया था. हमारे युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए, इसी अवधि के दौरान भारत की जीडीपी औसतन 6.5 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ी.
भारतीय श्रम बाजार संकेतक बताते हैं कि 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है. कृषि क्षेत्र अभी भी प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है, जिसमें 45 प्रतिशत से अधिक कार्यबल कार्यरत हैं तथा धीरे-धीरे विनिर्माण और सेवाओं की ओर बदलाव हो रहा है. पीएलएफएस के अनुसार, युवा (आयु 15-29 वर्ष) बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 10 प्रतिशत हो गई है. ईपीएफओ 2024 में 131.5 लाख तक पहुंच गया है, जबकि गिग इकॉनमी कार्यबल 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ हो जाने की उम्मीद है.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस और मल्लिकार्जुन खड़गे उन बदलावों से बेखबर हैं, जिन्होंने भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 'सबका साथ, सबका विकास' के दृष्टिकोण पर आधारित समावेशी विकास की नीतियों ने 24 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला है.