Ganga Vilas Cruise: ऐतिहासिक यात्रा पर निकला गंगा विलास क्रूज, लंबे सफर के लिए आलीशान व्यवस्था
Ganga Vilas Cruise (Photo Credit : Twitter)

Ganga Vilas Cruise: गंगा विलास क्रूज आज शुक्रवार 13 जनवरी 2023 को अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर निकल पड़ा है. कई विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह क्रूज अतुल्य भारत का सुनहरा भविष्य तय करेगा. याद हो पीएम मोदी ने कहा था कि भारत की नदियों में आधुनिक क्रूज चले और व्यापार भी हो, टूरिज्म भी हो, इस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इस लक्ष्य को साकार करने के लिए ही 106 नए राष्ट्रीय जलमार्गों की शुरुआत की गई है जिससे आर्थिक क्षेत्र 25 गुना वृद्धि करेगा. वहीं देश में पर्यटन से जुड़े स्थानीय व्यापारियों को रोजगार भी मिलेगा. विकास की इस अहम यात्रा में गंगा विलास रिवर क्रूज एक अहम अध्याय साबित होगा. Vaishno Devi Snowfall VIDEO: वैष्णो देवी में सीजन की पहली बर्फबारी, श्रद्धालु उठा रहे लुत्फ, हेलीकॉप्टर सेवा बंद

PM मोदी ने गंगा विलास क्रूज को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

पीएम मोदी ने शुक्रवार 13 जनवरी 2023 को गंगा विलास क्रूज को हरी झंडी दिखाकर काशी से डिब्रूगढ़ के लिए रवाना किया. साथ ही वाराणसी में टेंट सिटी का उद्घाटन भी किया. केवल इतना ही नहीं इस आयोजन के दौरान पीएम मोदी ने करीब 1000 करोड़ रुपए से अधिक की कई अन्य अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया.

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि गंगा हमारे लिए सिर्फ जलधारा भर नहीं है. गंगा भारत की तप-तपस्या की साक्षी भी है. भारत की स्थितियां और परिस्थितियां कैसी भी रही हों, मां गंगे ने हमेशा कोटि-कोटि भारतीयों को पोषित किया है, प्रेरित किया है. पीएम मोदी ने कहा कि आज मेरी काशी से डिब्रूगढ़ के बीच दुनिया की सबसे लम्बी जलयात्रा गंगा विलास क्रूज का शुभारंभ हुआ है. पीएम मोदी ने कहा कि इस क्रूज में सवार विदेशी टूरिस्ट साथियों से कहूंगा कि भारत के पास सब कुछ है. इंडिया को शब्दों में डिफाइन नहीं किया जा सकता है. इंडिया को अनुभव किया जा सकता है. यह क्रूज यात्रा एकसाथ नए अनुभव लेकर आने वाली है. क्रूज में सवार टूरिस्टों को हिंदुस्तान की धर्म, कला, संस्कृति, पर्यावरण, नदियों और समृद्ध खानपान से रूबरू होने का अवसर मिलेगा.

पीएम मोदी ने कहा कि यह क्रूज जहां से भी गुजरेगा वहां विकास की नई लाइन तैयार करेगा. शहरों के बीच लंबी रिवर क्रूज यात्रा के अलावा हम छोटे क्रूज को भी बढ़ावा देंगे. इसके लिए देश में हर प्रकार की सुविधाएं विकसित की जा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि नदी जलमार्ग अब भारत का नया सामर्थ्य बनेगा. गंगा विलास क्रूज की शुरुआत होना साधारण बात नहीं है. उन्होंने कहा कि 3200 किलोमीटर से ज्यादा लंबा यह सफर भारत में इनलैंड वाटर-वे के विकास का उदाहरण है. 2014 से पहले देश में वॉटर-वे के थोड़ा-बहुत ही उपयोग था. यह हाल तब था जबकि भारत में वॉटर-वे का पुरातन इतिहास था. 2014 के बाद हमने देश की बड़ी नदियों में जलमार्ग के विकास के लिए कानून बनाए. 2014 में पांच राष्ट्रीय जलमार्ग देश में थे. आज 24 राज्यों में 111 जलमार्गों को विकसित करने पर काम हो रहा है.

काशी के पर्यटन क्षेत्र में जुड़ी एक और बड़ी उपलब्धि

इस क्रूज के उद्घाटन के साथ ही अब काशी के पर्यटन क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जानी जाने वाली काशी के निवासी स्वयं सरकार के इस कदम की सराहना करते नहीं थक रहे. दरअसल, काशी के लोगों का मानना है कि सरकार के इस कदम से उनके व्यापार में बढ़ोतरी होगी.

51 दिनों के एडवेंचर सफर पर निकलेगा क्रूज

बताना चाहेंगे एमवी गंगा विलास क्रूज ने आज वाराणसी से अपनी यात्रा शुरू की है जो आगामी 51 दिनों में लगभग 3,200 किलोमीटर की यात्रा तय करके बांग्लादेश के रास्ते असम के डिब्रूगढ़ पहुंचेगा. 51 दिनों के एडवेंचर सफर पर निकला दुनिया का सबसे लंबे जलमार्ग पर चलने वाला गंगा विलास क्रूज बांग्लादेश से गुजरने के बाद असम में बह्मपुत्र नदी से डिब्रूगढ़ पहुंचेगा. इस बीच यह क्रूज भारत और बांग्लादेश को पार करते हुए अपनी मंजिल पर पहुंचेगा.

काशी से डिब्रूगढ़ जाएगा क्रूज

अपनी यात्रा के दौरान गंगा विलास क्रूज उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और असम के कुल 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगा. इसका सीधा फायदा इन राज्यों को होने वाला है. इससे राज्यों के पर्यटन और व्यापार दोनों को लाभ मिलेगा. वही भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की भी इससे आमदनी होगी.

दुनिया के सबसे लंबे जलमार्ग पर चलकर बनाएगा रिकॉर्ड

सबसे खास बात यह है कि गंगा रिवर क्रूज दुनिया के सबसे लंबे जलमार्ग पर चलकर एक रिकॉर्ड कायम करेगा. बता दें यह क्रूज दुनिया के सबसे लंबे जलमार्ग जिसकी लंबाई लगभग 3,200 किलोमीटर है, को पार करेगा. दुनिया में अभी तक ऐसा कोई रिवर क्रूज नहीं है जिसने इतनी लंबी यात्रा तय की हो. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह रिवर क्रूज भारत को दुनिया के रिवर क्रूज मानचित्र में स्थान दिलाएगा. आज इसके लॉन्च के साथ ही रिवर क्रूज की विशाल अप्रयुक्त क्षमता के इस्तेमाल की शुरुआत हो गई है. बता दें गंगा विलास क्रूज अपनी तरह का पहली क्रूज सेवा है. इसकी सफलता से उद्यमियों को देश के अन्य हिस्सों में रिवर क्रूज का लाभ उठाने के लिए उत्साहित होने की संभावना है.

यात्रा के दौरान 3 मुख्य नदी गंगा, मेघना, ब्रह्मपुत्र पड़ेंगी

इसके रास्ते में मुख्य तीन नदियां गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियां पड़ेंगी. क्रूज बंगाल में गंगा की सहायक और दूसरे नामों से प्रचलित भागीरथी, हुगली, बिद्यावती, मालटा, सुंदरबन रिवर सिस्टम, वहीं बांग्लादेश में मेघना, पद्मा, जमुना और फिर भारत में ब्रह्मपुत्र से असम में प्रवेश करेगा.

अतुल्य भारत की अमूल्य धरोहरों से कराएगा साक्षात्कार

दुनिया की सबसे बड़ी रिवर क्रूज यात्रा से काशी के पर्यटन क्षेत्र में तो एक उपलब्धि जुड़ ही है साथ ही साथ यह क्रूज भारत की अन्य अमूल्य धरोहरों से साक्षात्कार कराएगा. इस रिवर क्रूज के जरिए रास्ते में पड़ने वाले पर्यटक स्थलों से पर्यटकों को वाकिफ कराया जाएगा.

50 पर्यटन स्थल आपस में जुड़ेंगे

एमवी गंगा विलास के यात्रा कार्यक्रम को भारत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है. ऐसे में गंगा रिवर क्रूज विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों और बिहार में पटना जैसे प्रमुख शहर, बिहार में साहिबगंज, झारखंड, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे स्थानों के 50 पर्यटन स्थल को जोड़ने की महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर इसके स्टॉप ओवर होंगे.

वाराणसी में प्रसिद्ध "गंगा" आरती के दर्शन कराते हुए, यह सारनाथ में रुकेगा, जो बौद्ध धर्म के लिए प्रसिद्ध श्रद्धा का स्थान है. यह मायोंग को भी कवर करेगा, जो अपने तांत्रिक शिल्प के लिए जाना जाता है. इसके अलावा माजुली नामक सबसे बड़े नदी द्वीप और असम में वैष्णव संस्कृति के केंद्र से होकर गुजरेगा. यात्रियों के पास बिहार स्कूल ऑफ योगा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जाने का मौका होगा, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता और ज्ञान के मामले में समृद्ध भारतीय विरासत को समझने की अनुमति मिलेगी. यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध बंगाल डेल्टा की खाड़ी में सुंदरबन के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुजरेगा.

लंबे सफर को आरामदायक बनाने के लिए खास इंतजाम

इस लंबे सफर को आरामदायक बनाने के लिए खास इंतजाम किए गए है. गंगा रिवर क्रूज में पर्यटकों के रहने के लिए कुल 18 सुइट्स हैं. साथ में एक 40 सीट का रेस्टोरेंट, स्पा रूम और 3 सनडेक हैं. साथ में म्यूजिक की भी व्यवस्था है. गंगा विलास क्रूज का संचालन अंतरा लग्जरी रिवर क्रूज सर्विस करेगा. पहली यात्रा पर जाने वाले स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटकों का यहां स्वागत किया गया है. सबसे पहले वाराणसी बंदरगाह पर पर्यटकों का शहनाई की धुनों के साथ व माला पहनाकर स्वागत किया गया. क्रूज पर निकलने से पहले पर्यटक सबसे पहले वाराणसी के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे. इस पांच सितारा चलते होटल में 36 पर्यटकों की क्षमता वाले सुइट्स हैं. इसके अलावा इसमें 40 क्रू के रहने की व्यवस्था की गई है. क्रूज करीब 62 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा है. क्रूज को स्पा, सैलून और जिम जैसी सुविधाओं से भी सुसज्जित किया गया है. इसकी कीमत ₹ 25,000 होगी. क्रूज पर 51 दिनों की यात्रा के लिए कुल लागत लगभग 20 लाख रुपए है.

रोजगार के अवसर

केवल इतना ही नहीं देश में रिवर क्रूज पर्यटन के विकास से इस क्षेत्र में देश के अन्य भीतरी इलाकों में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे. सरकार देश में रिवर क्रूज पर्यटन की सफलता के लिए क्षमता निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय कर रही है. देश में इस क्षेत्र के अधिकतम प्रदर्शन और तेजी से विकास के लिए नदी पर्यटन सर्किट को मौजूदा पर्यटन सर्किट के साथ विकसित और एकीकृत किया जाएगा. वैश्विक रिवर क्रूज बाजार की बात करें तो यह पिछले कुछ वर्षों में 5% की दर से बढ़ा है और 2027 तक इसके 37% तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में भारत इस दिशा में नई संभावनाएं तलाशने में लगा है. फिलहाल, भारत में, कोलकाता और वाराणसी के बीच 8 नदी क्रूज जहाजों का संचालन होता है. राष्ट्रीय जलमार्ग 2 (ब्रह्मपुत्र) पर क्रूज की आवाजाही भी संचालित होती है. राष्ट्रीय जलमार्ग 2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण किया जा रहा है जो रिवर क्रूज की संभावना को और बढ़ा देगा. वर्तमान में, राष्ट्रीय जलमार्ग 2 में चार नदी क्रूज जहाज काम कर रहे हैं.