गैलप की 2024 की 'ग्लोबल वर्कप्लेस की स्थिति' रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सिर्फ़ 14% कर्मचारी अपने जीवन में "खुशहाल" महसूस करते हैं. बाकी 86% कर्मचारियों का मानना है कि वे "संघर्ष" कर रहे हैं या "दुख" झेल रहे हैं.
खुशहाल, संघर्षरत या दुखी?
इस रिपोर्ट में, कर्मचारियों को उनकी जीवन संतुष्टि के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है-
खुशहाल: ये वो कर्मचारी हैं जो अपने वर्तमान जीवन को 7 या उससे ऊपर रेटिंग देते हैं और अगले पाँच सालों के लिए भी सकारात्मक देखते हैं.
संघर्षरत: ये वो कर्मचारी हैं जिनका वर्तमान जीवन अनिश्चित या नकारात्मक है, उनमें दिनभर का तनाव और आर्थिक चिंताएँ ज़्यादा हैं.
दुखी: ये वो कर्मचारी हैं जो अपने वर्तमान जीवन को 4 या उससे नीचे रेटिंग देते हैं और भविष्य के बारे में भी नकारात्मक सोचते हैं. ये कर्मचारी खाना-पानी, आश्रय जैसी मूलभूत ज़रूरतों की कमी, शारीरिक दर्द, तनाव, चिंता, उदासी और गुस्से का अनुभव करते हैं.
Only 14% of Indian employees feel they are “thriving” in life, while others admit to “struggling” or “suffering”, according to the #Gallup2024 State of the Global Workplace report.
More details here: https://t.co/q86oXi3YAN pic.twitter.com/t3ITcGkNR2
— Hindustan Times (@htTweets) June 12, 2024
भारत में जीवन संतुष्टि का आंकड़ा
गैलप की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिर्फ़ 14% कर्मचारी ही अपने जीवन में खुशहाल महसूस करते हैं. बाकी 86% कर्मचारी या तो संघर्ष कर रहे हैं या दुखी हैं. दरअसल, यह सिर्फ़ भारत की ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की समस्या है. दक्षिण एशिया में सिर्फ़ 15% कर्मचारी ही खुशहाल महसूस करते हैं, जो ग्लोबल औसत से 19 प्रतिशत कम है.
गैलप के प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, "यह रुझान इस क्षेत्र के सभी देशों में देखा जा रहा है, जिसमें भारत 14% खुशहाल कर्मचारियों के साथ दूसरे नंबर पर है, नेपाल 22% के साथ पहले नंबर पर है." भारत में 35% कर्मचारियों ने दैनिक गुस्से का अनुभव करने की बात कही है, जो दक्षिण एशिया के किसी भी देश में सबसे ज़्यादा है. दूसरी तरफ़, दक्षिण एशिया के देशों में तनाव के मामले में भारत सबसे नीचे रहा. सिर्फ़ 32% कर्मचारियों ने दैनिक तनाव का अनुभव करने की बात कही है, जबकि श्रीलंका में यह आंकड़ा 62% और अफ़ग़ानिस्तान में 58% है. हालाँकि, भारत में कर्मचारी संलग्नता का दर 32% है, जो ग्लोबल औसत 23% से काफ़ी ज़्यादा है.
गैलप की रिपोर्ट एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है, जिसमें भारतीय कर्मचारी अपने जीवन में संघर्ष और दुख का अनुभव कर रहे हैं. इससे ज़ाहिर होता है कि हमें कर्मचारियों की मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान देने की आवश्यकता है. कर्मचारियों को एक ऐसा माहौल प्रदान करना ज़रूरी है जहाँ वे खुशहाल और संतुष्ट महसूस करें.