हरियाणा-पंजाब सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. केंद्र सरकार की ओर से बातचीत का प्रस्ताव न मिलने पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने घोषणा की कि 8 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेगा. इससे पहले 6 दिसंबर को किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया था, जिससे पुलिस और किसानों के बीच टकराव हुआ.
पुलिस और किसानों के बीच झड़प
6 दिसंबर को किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. इस झड़प में कम से कम 16 किसान घायल हो गए, जिनमें से एक की सुनने की क्षमता चली गई है. इसके बाद किसान नेताओं ने दो दिन के लिए दिल्ली मार्च स्थगित कर दिया.
किसानों की प्रमुख मांगें
किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में स्थिरता, किसानों पर दर्ज पुलिस मामलों की वापसी, और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय जैसी मांगें कर रहे हैं.
केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
किसान नेता पंढेर ने कहा कि केंद्र सरकार बातचीत में रुचि नहीं दिखा रही है और बल प्रयोग कर आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कृषि मंत्री संसद में किसानों के मुद्दों पर भ्रम पैदा कर रहे हैं.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन का वादा
सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "हम केंद्र से टकराव नहीं चाहते, लेकिन अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. हमारा आंदोलन अनुशासन और शांति के साथ जारी रहेगा."
अगला कदम
8 दिसंबर को 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर मार्च करेगा. किसान नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर केंद्र सरकार ने अब भी बातचीत शुरू नहीं की, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
किसान आंदोलन एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है. सरकार और किसानों के बीच संवाद की कमी से हालात और जटिल हो रहे हैं. अब देखने की बात होगी कि दिल्ली कूच के बाद आंदोलन किस दिशा में जाता है.