Power Crisis: तपती गर्मी के साथ क्यों मुसीबत बन कर आई बिजली कटौती? कब मिलेगी राहत? सरकार ने उठाये बड़े कदम
बिजली संकट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: देश के ज्यादातर राज्यों में बढ़ते तापमान के साथ बिजली (Electricity) की मांग में भारी वृद्धि हुई है. शुक्रवार को बिजली की मांग 2,07,111 मेगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. उधर, ताप-विद्युत संयंत्रों में कोयले की समुचित आपूर्ति नहीं होने से बिजली उत्पादन में कमी आई है. तपती गर्मी में बढ़ रही बिजली की मांग को देखते हुए बिजली आपूर्ति कंपनियां बिजली कटौती का सहारा लेने को मजबूर हो रही हैं. हालांकि सरकार ने दावा किया है कि देश में उचित मात्रा में कोयले का भंडार है और घबराने की जरूरत नहीं है. राज्यों में बिजली कटौती जारी, विपक्ष ने कोयले की कमी के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया

केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 27 अप्रैल को देश के 147 ताप-विद्युत संयंत्रों के पास सामान्य से 24 फीसदी कम कोयला स्टॉक ही मौजूद है. सीईए की रिपोर्ट कहती है कि इन संयंत्रों के पास 57,033 हजार टन कोयले का स्टॉक होना चाहिए लेकिन उनके पास सिर्फ 13,912 हजार टन ही कोयला मौजूद है. इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 163 गीगावॉट है. पंजाब में किसानों ने बिजली की किल्लत के खिलाफ प्रदर्शन किया

इस साल गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद से ही बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. बिजली मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट कर बताया "14:50 बजे पूरे भारत में अधिकतम मांग 207111 मेगावॉट तक पहुंच गई, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है." मंत्रालय ने कहा कि इस महीने 28 अप्रैल तक बिजली की मांग 12.1 प्रतिशत बढ़कर 204.653 गीगावॉट हो गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 182.559 गीगावॉट थी. गुरुवार को समूचे भारत में अधिकतम मांग 204,653 मेगावॉट थी. वहीं मंगलवार को बिजली की मांग 2,01,060 मेगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. इसने पिछले साल के 2,00,530 मेगावॉट के रिकॉर्ड को तोड़ा था. यह रिकॉर्ड सात जुलाई, 2021 को दर्ज हुआ था.

देश में कोयले की ढुलाई का काम सबसे अधिक रेलवे द्वारा ही किया जाता है. रेलवे ने कोयले की ढुलाई बढ़ाने के लिए सैकड़ों यात्री रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया. देश में बिजली की खपत बढ़ने और कोयले की कमी को देखते हुए रेलवे ने अगले एक महीने तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने का निर्णय लिया है. कोयले से लदी मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए रेलवे ने कदम उठाया है. साथ ही कोयले से लदी मालगाड़ियों की संख्या भी बढ़ा दी है.

देश में इस साल भीषण गर्मी पड़ रही है और इस कारण अप्रैल के महीने में ही बिजली की मांग बहुत बढ़ गई है. बिजली की मांग बढ़ने से कोयले की खपत भी बढ़ गई है. यही वजह है कि अब पावर प्लांट्स के पास कुछ ही दिनों का कोयला रह गया है. इसकी वजह से देश में बिजली संकट खड़ा हो गया है. बिजली की स्थिति पूरे देश में गंभीर, दिल्ली सरकार किसी तरह संभाल रही है हालात: केजरीवाल

रेलवे के मुताबिक, आगामी 24 मई तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इनमें 500 से अधिक ट्रेनें लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं. इसके साथ ही रेलवे ने कोयला लदी मालगाड़ियों की औसत संख्या भी बढ़ा दी है. अब रोजाना 400 से ज्यादा ऐसी ट्रेनों को चलाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने कोयले की ढुलाई के लिए रोजाना 415 मालगाड़ियां मुहैया कराने का फैसला किया है ताकि कोयले की मांग को पूरा किया जा सके. इनमें से हर मालगाड़ी करीब 3,500 टन कोयला ढोने में सक्षम है.

इससे पावर प्लांट्स में कोयले का भंडार बढ़ाने के लिए कम से कम अगले दो महीने तक यह व्यवस्था जारी रहेगी जिससे जुलाई-अगस्त के बाद ये संकट टल जाएगा. उल्लेखनीय है कि जुलाई-अगस्त में बारिश के कारण कोयले का खनन सबसे कम होता है. हरियाणा सीएम ने निर्बाध बिजली आपूर्ति के उपायों पर चर्चा के लिए विद्युत मंत्री से की मुलाकात बिजली

वहीं रेलवे के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में रेलवे रोजाना कोयले की ढुलाई के लिए 269 मालगाड़ियां चला रहा था जबकि 2017-18 और 2018-19 में इस संख्या में बढ़ोतरी हुई थी. पिछले साल रोजाना ऐसी 347 मालगाड़ियां चलाई गई.

गौरतलब हो कि आगामी दिनों में बिजली की मांग कम होने के आसार बेहद कम है, क्योकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गर्मी बढ़ने की भविष्यवाणी की है. आईएमडी कहा है कि 1 मई तक उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ेगी, इस वजह से ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. जबकि भारत के बड़े हिस्से में हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी.