Ayodhya Ram Mandir: हमें अक्सर सुनने को मिलता है कि " इतने भव्य मंदिर बनाने की क्या ज़रूरत है? गरीबों की मदद क्यों नहीं करते?" यह सवाल जायज़ है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंदिर निर्माण सिर्फ आस्था का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी गति देने का काम करता है? आइए जानते हैं कैसे:
1. रोज़गार सृजन: मंदिर निर्माण में बड़ी संख्या में श्रमिकों की ज़रूरत होती है. कुशल कारीगरों से लेकर अस कुशल श्रमिक तक, सभी को रोज़गार मिलता है. उदाहरण के लिए, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के फलस्वरूप रैंडस्टैड इंडिया के अनुसार 20,000 अतिरिक्त रोज़गार सृजित होने का अनुमान है.
2. व्यापार में तेज़ी: मंदिर के आसपास कई तरह के छोटे-बड़े व्यापार फलते-फूलते हैं. होटल, रेस्टोरेंट, दुकानों से लेकर फूल-माला विक्रेताओं तक, सभी को आर्थिक लाभ होता है. खासकर, मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा जैसे बड़े आयोजनों के दौरान व्यापार में कई गुना इज़ाफ़ा होता है. सीएआईटी के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पूरे भारत में 1 लाख करोड़ रुपये के कारोबार होने की उम्मीद है.
3. पर्यटन को बढ़ावा: भव्य और ऐतिहासिक मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इससे न सिर्फ देश का गौरव बढ़ता है, बल्कि विदेशी मुद्रा की आमदनी भी होती है. साथ ही, स्थानीय हस्तशिल्प और कला को भी बढ़ावा मिलता है.
4. बुनियादी ढांचे का विकास: मंदिर निर्माण के साथ ही आसपास के इलाकों में बुनियादी ढांचे का भी विकास होता है. सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं में सुधार होता है, जिससे न सिर्फ श्रद्धालुओं को बल्कि आसपास के रहवासियों को भी लाभ होता है.
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि मंदिर निर्माण के आर्थिक लाभों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी कम नहीं है. यह आस्था का केंद्र, संस्कृति का संरक्षक और सामुदायिक एकता का प्रतीक होता है. अतः, मंदिर निर्माण को सिर्फ धार्मिक नज़रिए से देखना ठीक नहीं है. यह समग्र अर्थव्यवस्था को गति देने और विकास को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.