COVID-19 Update: देश में कोरोना (Coronavirus) के कुल केस 24 लाख के करीब हैं, इनमें 1 लाख से ज्यादा लोग रिकवर हो चुके हैं तो वहीं 6.5 लाख के करीब केस एक्टिव हैं. जितनी तेजी से टेस्टिंग बढ़ रही है उतने ही केस सामने आ रहे हैं. रिकवरी रेट अच्छा होता देख कई लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है. ध्यान रहे यह लापरवाही बच्चों के साथ नहीं हो, जरा सी गलती उन्हें संक्रमित कर सकती है. विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर बच्चों में संक्रमण के बाद लक्षण नहीं दिखते हैं.
पीएचएफआई के अध्यक्ष, डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी की मानें तो बच्चों में वायरस का असर उतनी तेजी से ही होता है जितनी तेजी से बड़ों में, लेकिन उनमें संक्रमण घातक रूप नहीं लेता है और वे जल्दी ठीक हो जाते हैं. हालांकि कुछ बच्चों के शरीर में अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली है, लेकिन वो वायरस से नहीं बल्कि उनके शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी की तीव्र क्रिया की वजह से थी. खास बात यह है कि संक्रमित होने पर बच्चे जल्दी रिकवर हो जाते हैं. ज्यादातर में लक्षण भी नहीं नजर आते हैं, लेकिन फिर भी अभी उन्हें घर में ही रखना सुरक्षित है.
संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने की वजह
संक्रमण बढ़ने के बारे में डॉ. रेड्डी कहते हैं कि सबसे पहले विदेश से आने वाले लोगों की वजह से केवल बड़े-बड़े शहरों में ही मामले बढ़ रहे थे, लेकिन अब वहां संक्रमण पर लगाम लग रही है और रिकवरी हो रही है. लेकिन इन बड़े शहरों से लोग छोटे शहरों या पूर्वी राज्यों में जा रहे हैं, इसलिये वहां संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है. वैसे ये प्रक्रिया ऐसे ही चलेगी. हमें यह भी देखना है कि लोग ठीक भी उसी रफ्तार से हो रहे हैं.
कोरोना केस की संख्या हर राज्य में अलग, नहीं कह सकते पीक
वहीं प्रतिदिन केस बढ़ने से कोरोना पीक की चर्चा होने लगी है, इस पर डॉ. रेड्डी ने कहा कि हमारा देश बहुत बड़ा है, इसलिए अलग-अलग राज्यों में अलग समय पर वायरस का प्रकोप नजर आयेगा. कई राज्य व शहर ऐसे हैं जहां तीन महीने पहले एक भी केस नहीं था, लेकिन अब केस आने लगे हैं. कई जगह पहले केस आ रहे थे अब वहां कम हो रहे हैं. इसलिए भारत में पीक अभी कह नहीं सकते हैं.
बुजुर्ग प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते
प्लाजमा को लेकर डॉ. रेड्डी ने कहा कि अक्सर बुजुर्गों से प्लाज्मा नहीं लिया जाता है, प्लाज्मा हमेशा स्वस्थ्य व्यक्ति से लिया जाता है. उसमें भी यह देखते हैं कि व्यक्ति के प्लाज्मा की क्या स्थिति है, कितनी मात्रा में है, उसके बाद ही लिया जाता है. इस बात का ध्यान खासतौर से रखा जाता है कि व्यक्ति को कोई और बीमारी नहीं हो.