
Airport Monopoly Controversy: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसे दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने दायर किया है. याचिका में गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ानें शुरू करने की अनुमति को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने DIAL की दो याचिकाओं पर सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को नोटिस जारी किया और जवाब देने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है.
DIAL की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि IGI एयरपोर्ट की 150 किलोमीटर की परिधि में कोई दूसरा हवाई अड्डा तभी संचालित हो सकता है, जब IGI एयरपोर्ट पूरी तरह से अपनी क्षमता तक पहुंच जाए.
कोर्ट में सरकार ने क्या दलील दी?
उन्होंने कहा कि सरकार ने जल्दबाज़ी में हिंडन एयरपोर्ट से उड़ानें शुरू करने का फैसला लिया, जो "स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट" का उल्लंघन है. इस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि हिंडन एयरपोर्ट पहले से ही "सक्रिय" है और वहां से हर हफ्ते 100 से ज्यादा उड़ानें संचालित होने वाली हैं.
मेहता ने कहा कि हवाई क्षेत्र पर किसी एक ऑपरेटर का एकाधिकार (मोनोपॉली) नहीं हो सकता.
बिना सुनवाई के लिया गया फैसला: DIAL
DIAL ने अपनी याचिका में कहा कि अक्टूबर 2023 में सरकार ने अचानक हिंडन एयरपोर्ट से व्यावसायिक उड़ानें शुरू करने का निर्णय लिया, लेकिन इस पर उनकी राय नहीं ली गई. कंपनी का दावा है कि हिंडन एयरबेस मुख्य रूप से एक रक्षा हवाईअड्डा है और इसे सामान्य यात्री उड़ानों के लिए इस्तेमाल करना अनुचित है.
याचिका में कहा गया है कि IGI एयरपोर्ट अभी अपनी अधिकतम क्षमता तक नहीं पहुंचा है और इसका विस्तार किया जा रहा है. ताकि यह 109 मिलियन यात्रियों को सालाना संभाल सके. ऐसे में हिंडन से उड़ानें शुरू करना IGI के साथ-साथ नोएडा के जेवर में बन रहे नए एयरपोर्ट के लिए भी नुकसानदायक होगा.
तीन एयरपोर्ट, पर सबको घाटा?
DIAL ने कोर्ट को बताया कि IGI एयरपोर्ट, जेवर एयरपोर्ट और हिंडन एयरपोर्ट तीनों अगर एक ही क्षेत्र में संचालित होंगे, तो सभी को नुकसान होगा. इसका सीधा असर IGI एयरपोर्ट की कमाई और संचालन पर पड़ेगा, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है.
याचिका में कहा गया कि "स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट" के तहत IGI एयरपोर्ट को 150 किलोमीटर के दायरे में दूसरे एयरपोर्ट को लेकर "पहले इनकार करने का अधिकार" (Right of First Refusal) दिया गया था, लेकिन सरकार ने इस नियम का पालन नहीं किया.
कोर्ट के फैसले का इंतजार
अब इस विवाद पर सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब देना होगा. देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है.