वर्ष 1960 में शराब पर पाबंदी के बाद से गुजरात में पिछले चार वर्षों में शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या में दोगुणा से ज्यादा की वृद्धि हुई है. वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) की हालिया रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. इस सर्वेक्षण में गुजरात की कुल 33,343 महिलाओं और 5351 पुरुषों को शामिल किया गया. सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली करीब 200 महिलाओं (0.6 प्रतिशत) ने दावा किया कि वह शराब पीती हैं जबकि 2015-16 के दौरान एनएफएचएस-चार में 68 महिलाओं ने कहा था कि वह मदिरा का सेवन करती हैं.
गुजरात में एनएफएचएस-चार में 22,932 महिलाओं और 5574 पुरुषों को शामिल किया गया था.
हालांकि, दोनों सर्वेक्षणों की तुलना करने पर दिखता है कि पुरुषों में शराब उपभोग की दर आधी रह गयी. वर्ष 2015-16 के सर्वेक्षण में 618 पुरुषों (5574 का 11.1 प्रतिशत) ने कहा था कि वे शराब पीते हैं जबकि हालिया सर्वेक्षण में 310 लोगों ने बताया कि वे मदिरा का सेवन करते हैं. यह भी पढ़े: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने गुजरात में लागू शराबबंदी पर उठाए सवाल, कहा- वहां घर-घर में पी जाती है शराब
समाजविज्ञानी गौरांग जानी मद्यपान करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि का कारण ‘पार्टी संस्कृति’ को बढ़ावा और समाज में शराब उपभोग को मिल रही स्वीकार्यता को मानते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मध्यम वर्ग और उच्च मध्यवर्ग ने हालिया समय में पार्टी संस्कृति को बढ़ावा दिया है. इस कारण से परिवारों में महिलाएं भी शराब पीने लगी हैं. पहले पुरुष ही शराब पीते थे. अब परिवार की पार्टी में शराब पीने का चलन बढ़ा है.’’
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