Court On Depriving Baby of Mom's Milk: ठाणे सेशन कोर्ट (Thane Sessions Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि नवजात शिशु (Newborn Baby) का अपहरण करना और शिशु को मां के दूध से दूर रखना बच्चे को ऑक्सीजन से वंचित करने के समान है और इससे गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) का आरोप साबित होता है. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी दंपत्ति और एक अन्य व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए 5.6 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई. अदालत 2018 में ठाणे सिविल अस्पताल से एक दिन के बच्चे के अपहरण के मामले की सुनवाई कर रही थी. न्यायाधीश जी जी भंसाली ने गुड़िया राजभर (35), सोनू राजभर (44) और विजय श्रीवास्तव (52) को अपहरण और गैर इरादतन हत्या के प्रयास का दोषी ठहराया.
आरोपी दंपत्ति के छह बच्चे हैं. अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किया कि 13 जनवरी 2018 को शिकायतकर्ता मां को भिवंडी के आईजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण उन्हें ठाणे सिविल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. रात करीब 11 बजे उसने एक बच्चे को जन्म दिया और उसे नवजात शिशु के साथ महिला वार्ड में ले जाया गया. यह भी पढ़ें: Kerala High Court ने नहीं दी 14 साल की नाबालिग लड़की को गर्भ गिराने की परमिशन, कहा- भ्रूण के अंग पूरी तरह से विकसित
मध्य रात्रि में लगभग 2 बजे गुड़िया वार्ड में आई और शिकायतकर्ता को बताया कि उसकी मां बच्चे को देखने के लिए बाहर इंतजार कर रही है. महिला को अस्पताल स्टाफ समझकर मां ने बच्चे को उसे सौंप दिया. जब शिकायतकर्ता की बहन उसके कमरे में गई और बच्चे के बारे में पूछताछ की तो उसे एहसास हुआ कि बच्चे का अपहरण कर लिया गया है. इसके बाद मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई. अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे खंगालने पर पुलिस ने पूरे घटना क्रम को एक साथ जोड़ा.
देखें ट्वीट-
'Depriving baby of mom's milk amounts to culpable homicide'https://t.co/cEBYb4SGv2
— The Times Of India (@timesofindia) December 23, 2023
बच्चे का अपहरण करने के बाद आरोपी कल्याण के पिसावली गांव गया. क्राइम ब्रांच यूनिट-1 ने आरोपी का पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया और बच्चे को छुड़ा लिया. आरोपी के खिलाफ अदालत में अठारह गवाहों ने गवाही दी और डीएनए परीक्षण से भी पुष्टि हुई कि शिकायतकर्ता और उसका पति बच्चे के जैविक माता-पिता हैं.
न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि मां का दूध नवजात शिशु के लिए ऑक्सीजन है. ऐसे में एक नवजात शिशु को उसकी मां से अलग करना एक बच्चे के लिए ऑक्सीजन छीनने के समान है. उन्होंने इस मामले में दंपत्ति और एक अन्य को दोषी ठहराते हुए उन्हें कठोर कारावास की सजा सुनाई.