नई दिल्ली, 28 मार्च : करीब एक साल से बंद दिल्ली चिड़ियाघर (Delhi Zoo) आम जनता के लिए 1 अप्रैल से खुलने जा रहा है. ऐसे में अब जो लोग चिड़ियाघर (Zoo) देखने आएंगे उन्हें जू परिसर में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. जानवरों की प्रजातियों में बढोतरी के साथ-साथ परिसर में भारी संख्या में कैमरे और जानवरों के लिए किए गए काम साफ नजर आएंगे. दरअसल कोरोना काल (Corona era) के दौरान जानवरों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव देखा गया, इसी दौरान चिड़ियाघर में कार्यरत लोगों ने जानवरों के बदलते व्यवहार को देखते हुए सुविधाएं और बढ़ा दी. यह भी पढ़े: Delhi Encounter: गैंगस्टर फज्जा मुठभेड़ में ढेर, फिल्मी अंदाज में जीटीबी अस्पताल से हुआ था फरार
इस दौरान जानवर बेहद खुश रहने लगे है, जिससे उनके खाने की क्षमता भी बढ़ी है. इतना ही नहीं चिड़ियाघर परिसर को और सुंदर बनाने का प्रयास किया गया है. ताकि लोगों को प्रवेश द्वार से ही चिड़ियाघर पसंद आने लगे.
दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडेय ने आईएएनएस को बताया कि, मौजूदा समय में चिड़ियाघर के अंदर 88 प्रजातियां हैं, जो कि पिछले साल 83 थी. कोरोना काल के दौरान कुछ प्रजातियां बढ़ी हैं, वहीं इस साल कुल 100 प्रजातियां करने का प्रयास किया जा रहा है. सभी प्रजातियों को मिलाकर जानवरों की कुल संख्या 1200 हो गई है। वहीं मौतौं की बात करें तो पिछले साल 170 के करीब थी, लेकिन इस साल करीब 120 जताई जा रही है, जो कि काफी कम है.''
उन्होने आगे कहा, ''दिल्ली चिड़ियाघर में कुल 20 फीसदी बूढ़े जानवर हैं जिनका ध्यान ज्यादा रखना पड़ रहा है. साथ ही हमने जानवरों की नयी प्रजातियों को लाने के लिए बहुत से अन्य चिड़ियाघरों से सम्पर्क किया हुआ है. आने वाले दिनों में यहां लोगों को कई नए जानवर देखने को मिलेंगे. कोरोना काल के दौरान 400 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं, पहले ये बस जरूरत के अनुसार ही लगे हुए थे.
दरअसल चिड़ियाघर में जो प्राजतियाँ बढाई गई है उनमें वाइल्ड बोर (जंगली सुअर), कॉम्ब डक (नक्टा), ब्लैक पार्टीज (काला तीतर), ग्रे पार्टीज (सफेद तीतर) शामिल हुए हैं। वहीं जानकारी के अनुसार अगले चरण में चिंकारा, ऑस्ट्रिच, गुर्गल बतख आदि जानवरों को शामिल करने की कवायद जारी है.
हालांकि चिड़ियाघर को कोरोना वायरस के डर के चलते मे बंद करना पड़ा था, लेकिन इसका असर जानवरों पर बेहद सकारात्मक हुआ है. लॉकडाउन के बाद जानवरों में गुस्सा कम है थोड़ा शांत रह रहे हैं जानवर ज्यादातर खेलते नजर आ रहे हैं.
जानकारी के अनुसार जानवर इतने खुश हैं कि उनके खाने की क्षमता भी बढ़ गई है। इतना ही नहीं बंदी के दौरान चिड़ियाघर परिसर में अधिकारियों ने जानवरों को जंगल जैसा एहसास देनी को कोशिश भी की है.
मांसाहारी जानवरों के बाड़ों में बड़े बड़े लकड़ी के तख्त रखे गए हैं ताकि जानवर जिस तरह अपने शरीर को जंगलों में खुजाते हैं उसी तरह बाड़ों में भी खुजा सकें.
उनके लिए लकड़ी के प्लेटफार्म तैयार किए गए हैं जिसपर जानवर सर्दियों के दौरान बैठे नजर आए. वहीं गर्मियों के दौरान ये प्लेटफार्म के नीचे बैठ सकेंगे.
पक्षियों को भी प्राकृतिक एहसास देने की कोशिश की गई है जिसका असर दिख भी रहा है. चिड़ियाघर में हुए इस बदलाव के बाद जानवर व्यवस्थित नजर आते हैं.
चिड़ियाघर परिसर में वन्य जानवरों से जुड़े चित्र भी बनाए गए है, इसमें वॉल पेंटिग शामिल है तो वहीं पुराने रखे कूड़ेदानों पर भी चित्र बनाए गए हैं ताकि जब लोग घूमने आएं तो उन्हें परिसर सुंदर लगे.