दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान आनंद विहार बस स्टैंड पर जमी भीड़, घर जाने को उमड़े हजारों लोग- देखें VIDEO
शनिवार शाम को दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर पलायन करने वाले लोगों की भारी भीड़ लग गई. हजारों की संख्या में लोग यूपी और बिहार के अलग अलग जिलों में जाने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के मजदूरों का अपने-अपने घर के लिए पलायन सबसे बड़ी चुनौती मालूम हो रही है. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठा रही हैं. दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे बुरा है, जहां मजदूर, रिक्शा चालक और फैक्ट्री कर्मचारी अपने अपने गांव की ओर लौटने के लिए हजारों की तादाद में निकल पड़े हैं. शनिवार शाम को दिल्ली के आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर पलायन करने वाले लोगों की भारी भीड़ लग गई. हजारों की संख्या में लोग यूपी और बिहार के अलग अलग जिलों में जाने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं. हजारों की संख्या में मजदूर का सैलाब यहां उमड़ा है. इन मजदूरों को कोरोना से संक्रमित हो जाने की कोई चिंता नहीं है. इन्हें बस घर जाना है.
आनंद विहार अंतरराज्यीय बस अड्डे पर भीड़ इस कदर है कि पुलिस को व्यवस्था संभालने में पसीने छूट रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि सुबह छह बजे से रात आठ बजे तक दिल्ली बार्डर पर यूपी गेट के रास्ते करीब पांच लाख लोगों ने दिल्ली से पलायन किया है. यह भी पढ़ें- Coronavirus: पिछले 24 घंटों में 194 नए मामले आए सामने, मरीजों की तादाद 900 के पार, अब तक 22 की मौत.
यहां देखें विडियो-
आनंद विहार बस स्टैंड पर जमी भीड़-
दरअसल, जैसे जैसे सूचना दिल्ली में फैल रही है कि यूपी गेट से गांव जाने के लिए बसों की व्यवस्था है, तो सभी लोग अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े. यातायात निरीक्षक बीपी गुप्ता ने बताया कि दोपहर बाद बसों की फ्रीक्वेंसी कम हो गई. सभी लोगों के लिए यूपी गेट से बस की व्यवस्था नहीं हो पाई. लोग बस यही चाह रहे थे कि जैसे भी वह दिल्ली की सीमा पारकर यूपी में घुस जाएं.
इस लॉकडाउन के बीच सबसे बड़ी समस्या मजदूरों के पलायन की हैं. देश के हर हिस्से से मजदूर अपने गांव लौट रहे हैं. बिना किसी बस, ट्रेन की सुविधा के मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल चलकर गावों की तरफ लौट रहे हैं. मजदूर बिना किसी खाने पीने और रहने की सुविधा के भारी भरकम सामान के साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं. अब केंद्र और राज्य सरकारें मजदूरों की मदद के लिए सामने आई हैं.