नई दिल्ली, 10 नवंबर : दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने नवीन बाली-नीरज बवानिया गिरोह के दो शार्पशूटरों को गिरफ्तार किया है. इन्हें नीतू दाबोधा गिरोह के एक प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्य को मारने का काम सौंपा गया था. बदमाशों की पहचान हरियाणा निवासी टिंकू उर्फ देवा (29) और कबीर उर्फ बाबा (20) के रूप में हुई. उन्हें रंगदारी देने से इनकार करने पर हरियाणा के ही रहने वाले देवेंद्र की हत्या करने का काम सौंपा गया था. विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवीन्द्र सिंह यादव ने कहा, “इनपुट पर कार्रवाई करते हुए निर्धरित जगह पर एक जाल बिछाया गया, बवाना से आ रही एक कार को रोका गया. दो व्यक्तियों, टिंकू और कबीर ने भागने का प्रयास किया, लेकिन टीम ने उन्हें पकड़ लिया.
उनके पास से दो पिस्तौल और 13 जिंदा कारतूस मिले. दोनों 23 अगस्त को गैंगस्टर हिमांशु के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सनी को निशाना बनाते हुए गोलीबारी की घटना में शामिल थे, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पूछताछ में गिरोह की योजनाओं का खुलासा हुआ, जिसमें प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करना और पैसे की उगाही करना शामिल था. यादव ने कहा, "जबरन वसूली की मांग पूरी न करने पर उन्हें हरियाणा के बेरी में गुलिया नर्सिंग होम और राधा कृष्ण विद्या मंदिर पर गोली चलाने का भी निर्देश दिया गया था." यह भी पढ़ें : दिवाली ही नहीं होली में भी हम देंगे निशुल्क गैस सिलेंडर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
विदेश से अपने गैंग और नीरज बवाना-बाली गैंग दोनों की देखरेख करने वाला हिमांशु व्हाट्सएप और ज़ंगी ऐप के जरिए शूटरों से बातचीत करता था. स्पेशल सीपी ने कहा, ''उन्होंने उन्हें अलग-अलग स्थानों पर जोड़े में रहकर सावधानी से हथियार इकट्ठा करने और अपराध करने के बाद सबूत नष्ट करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, इस आपराधिक नेटवर्क की जड़ें बचपन के दोस्तों नीरज बवाना और नवीन बल्ली तक फैली हुई हैं, जो नीटू दाबोधा गिरोह में शामिल हो गए.
स्पेशल सीपी ने कहा, "उनकी आपराधिक गतिविधियां बढ़ गईं, जिससे 2012 में उनका अपना गिरोह बन गया. 2012 में नीटू दाबोधा द्वारा अजय उर्फ सोनू दादा की हत्या के बाद प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के कई लोग हताहत हुए." दिल्ली पुलिस द्वारा नीटू दाबोधा के एनकाउंटर के बाद पारस ने नेतृत्व संभाला लेकिन बाद में 2015 में नीरज बवाना और बल्ली ने पुलिस वैन में उसे मार डाला, जिससे दोनों गुटों के बीच हिंसा और बढ़ गई.
विदेश से अपने गैंग और नीरज बवाना-बाली गैंग दोनों की देखरेख करने वाला हिमांशु व्हाट्सएप और ज़ंगी ऐप के जरिए शूटरों से बातचीत करता था. स्पेशल सीपी ने कहा, ''उन्होंने उन्हें अलग-अलग स्थानों पर जोड़े में रहकर सावधानी से हथियार इकट्ठा करने और अपराध करने के बाद सबूत नष्ट करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, इस आपराधिक नेटवर्क की जड़ें बचपन के दोस्तों नीरज बवाना और नवीन बल्ली तक फैली हुई हैं, जो नीटू दाबोधा गिरोह में शामिल हो गए.
स्पेशल सीपी ने कहा, "उनकी आपराधिक गतिविधियां बढ़ गईं, जिससे 2012 में उनका अपना गिरोह बन गया. 2012 में नीटू दाबोधा द्वारा अजय उर्फ सोनू दादा की हत्या के बाद प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के कई लोग हताहत हुए." दिल्ली पुलिस द्वारा नीटू दाबोधा के एनकाउंटर के बाद पारस ने नेतृत्व संभाला लेकिन बाद में 2015 में नीरज बवाना और बल्ली ने पुलिस वैन में उसे मार डाला, जिससे दोनों गुटों के बीच हिंसा और बढ़ गई.