कोरोना वायरस (Coronavirus) चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है. इस लॉकडाउन से कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा रहा है. लॉकडाउन में अतिआवश्यक जरूरतों को छोड़कर अन्य सभी चीजों पर पाबंदी लगा दी गई है. दुकानों से लेकर सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगने के बाद सबसे ज्यादा परेशानी में दिहाड़ी मजदूर हैं. पाबंदियों के कारण मजदूरों के लिए अपने रोजाना के खर्चों को निकालना बेहद मुश्किल हो गया है. इनके पास खाने पीने और रहने को कुछ नहीं बचा. लॉकडाउन के बाद से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं. ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण ये मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान कम से कम 27 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से कुछ दुर्घटनाओं में मौत के शिकार हो गए जबकि कुछ अपने भूख के कारण मारे गए और एक की मौत पुलिस की पिटाई से हो गई. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक 39 वर्षीय प्रवासी श्रमिक, जो दिल्ली से मध्य प्रदेश तक अपने घर तक पैदल जा रहा था, लगभग 200 किमी चलने के बाद 27 मार्च को गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई. यह भी पढ़ें- Coronavirus Death Toll: देश में कोरोना वायरस से अब तक 33 की मौत, संक्रमित लोगों की संख्या हजार से ज्यादा.
मृतक श्रमिक की पहचान रणवीर सिंह के रूप में हुई. वह दिल्ली में एक रेस्टोरेंट के ऑर्डर डिलीवर करता था. लॉकडाउन के बाद रेस्टोरेंट बंद होने के बाद वह अपने घर (एमपी) के लिए रवाना हो गए थे. वहीं हरियाणा में 29 मार्च को लॉकडाउन के बाद पैदल घर जा रहे तीन मजदूरों और दो बच्चों की कुचलकर मौत हो गई.
तेलंगाना के हैदराबाद में एक और सड़क दुर्घटना में 27 मार्च की देर रात आठ लोगों की मौत हो गई. मृतकों में सात प्रवासी श्रमिक और एक आठ महीने का बच्चा शामिल है. द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि वे कर्नाटक के रायचूर जिले में घर लौट रहे थे. इसके अलावा 27 मार्च को, बिहार के भोजपुर में जवाहर टोला में 11 वर्षीय राहुल मुसहर की भूख से मौत हो गई. कईयों ने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के कारण उनके परिवार के सदस्य बेरोजगार हो गए हैं और वे भोजन नहीं खरीद सकते.
29 मार्च को, मुंबई गुजरात राजमार्ग पर विरार में एक ट्रक द्वारा कुचले जाने के बाद महाराष्ट्र गुजरात सीमा पर भिलाड से वसई लौट रहे चार प्रवासियों की मौत हो गई. द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि 62 वर्षीय एक व्यक्ति की 27 मार्च को गुजरात के सूरत में उसके घर से अस्पताल तक लगभग 8 किमी पैदल चलने के बाद मौत हो गई. लॉकडाउन के कारण उसे परिवहन का कोई साधन नहीं मिला था. यह भी पढ़ें- Coronavirus: अप्रैल में देश लागू हो सकता है आपातकाल? वायरल मैसेज का भारतीय सेना ने किया खंडन.
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में, एक 32 वर्षीय व्यक्ति जो लॉकडाउन के दौरान दूध खरीदने के लिए निकला था, उसकी पुलिस द्वारा हमला किए जाने के बाद मौत हो गई. जबकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया कि पीड़ित, लाल स्वामी को पीटा गया था, उसकी पत्नी ने एबीपी आनंद को बताया कि उसके पति को पुलिस के लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा था. केरल में, एक 70 वर्षीय महिला की उस समय मौत हो गई, जब एम्बुलेंस उन्हें ले जा रही थी और लॉकडाउन के बाद जाम में फंस गई.
लॉकडाउन से संबंधित एक अन्य घटना में 60 वर्षीय केरल निवासी अब्दुल हमीद का 26 मार्च को देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया क्यों कि कर्नाटक पुलिस ने उनके भतीजे को अस्पताल ले जाने की अनुमति नहीं दी. द न्यूज इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट् में यह खुलासा किया गया. मृतक के भतीजे इब्राहिम बाबा ने उन्हें अपने घर से सिर्फ 12 किमी दूर, मैंगलोर में डेरालकटे में एक मेडिकल कॉलेज में ले जाने की कोशिश की. लेकिन कर्नाटक पुलिस ने गेट खोलने से इनकार कर दिया, जिससे हमीद की मौत हो गई.
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तमिलनाडु के थेनी में, 24 मार्च को एक जंगल के रास्ते का उपयोग करने वाले चार लोगों की मौत जंगल में आग लगने के कारण हो गई. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. इस घोषणा के तुरंत बाद ही सब कुछ बंद कर दिया गया था. सरकार ने इन मौतों का दस्तावेजीकरण नहीं किया है, जबकि लॉकडाउन के आलोचकों का कहना है कि सरकार ने इस लॉकडाउन से पहले कोई प्लानिंग नहीं की थी.