INDIA Ally CPI(M): कार्यकर्ताओं को इंडिया की अवधारणा समझाने में सीपीआई (एम) को कठिनाई
CPI (M) Photo Credits: Twitter

कोलकाता, 14 अगस्त: सीपीआई (एम) नेतृत्व को जिला स्तरीय पार्टी कार्यशालाओं के दौरान जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को विपक्षी गठबंधन इंडिया की अवधारणा समझाने की कोशिश में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यह भी पढ़े: CPI(M) To Keep Bengal Immune From INDIA Alliance: सीपीआई (एम) बंगाल में 'इंडिया' गठबंधन फॉर्मूले से रहेगी दूर

सूत्रों ने कहा है कि सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति की हालिया स्पष्टीकरण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पश्चिम बंगाल इंडिया ब्लॉक पर पार्टी के राष्ट्रीय रुख का हिस्सा नहीं होगा, इससे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और सदस्यों का एक बड़ा वर्ग संतुष्ट नहीं हुआ.

रविवार से शुरू हुई जिला-स्तरीय कार्यशालाओं में यह सवाल हमेशा सामने आया है कि क्या सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद किसी भी संभावित इंडिया गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देगा, जहां तृणमूल कांग्रेस भी होगी सीपीआई (एम) राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा, "सच कहूं तो हमारे राज्य नेतृत्व के पास वास्तव में इस सवाल का कोई जवाब नहीं है, क्योंकि हम खुद इस मामले में स्पष्ट नहीं हैं.

कार्यशालाओं में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण सवाल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए वाम मोर्चा के उम्मीदवारों के समर्थन में दीवार-भित्तिचित्र अभियान के बारे में था सवाल यह है कि क्या ग्राफिटि "वाम मोर्चा समर्थित सीपीआई (एम) उम्मीदवार के लिए वोट" होगी, या "इंडिया समर्थित सीपीआई (एम) उम्मीदवार के लिए वोट करें.

राज्य समिति के नेता ने कहा, “सवाल यह है कि अगर तृणमूल कांग्रेस और सीपीआई (एम) दोनों उम्मीदवार दीवार-भित्तिचित्र में अपने नाम से पहले ' इंडिया समर्थित लिखना शुरू कर देते हैं, तो आम और विशेष रूप से समर्पित वामपंथी मतदाताओं के बीच पूरी तरह से भ्रम की स्थिति पैदा होने की संभावना है। यह एक और सवाल है जिसका पार्टी नेतृत्व के पास कोई जवाब नहीं है.

इस बीच, कार्यशालाओं में सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी के एक ही मंच पर साझा करने और पटना और बेंगलुरु में इंडिया-गठबंधन की बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक ही फ्रेम में देखे जाने को लेकर नियमित शिकायतें भी सामने आईं पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुछ जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने यह भी शिकायत की है कि येचुरी हालिया पंचायत चुनाव हिंसा के बारे में उतने मुखर क्यों नहीं थे, जितना उन्हें होना चाहिए था.