केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत पहले चरण में कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड -19) के खिलाफ लड़ने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञों सहित लगभग 30 मिलियन लोगों का टीकाकरण करेगा. 30 मिलियन में 7 मिलियन डॉक्टर और पैरामेडिक्स शामिल हैं और 20 मिलियन में अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्य वर्कर्स शामिल हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण (Rajesh Bhushan) ने मंगलवार को कोविड -19 मीडिया ब्रीफिंग में कहा. यह भी पढ़ें: How Will India Distribute COVID-19 Vaccine: भारत में कोविड-19 की वैक्सीन बनने के बाद आखिर कैसे होगी वितरित? क्या खत्म होगा कोरोना वायरस
भूषण ने कहा कि देश में पहले से ही 30 मिलियन का टीकाकरण करने के लिए बुनियादी ढांचा है. "हमारे पास कोल्ड चेन, शीशियां, सीरिंज और सब कुछ है," उन्होंने कहा, जनवरी और जून 2021 के बीच टीकाकरण का पहला चरण अयी स्थारूप से निर्धारित किया गया है. “वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के विचार-विमर्श में हम एक मसौदा प्राथमिकता योजना के साथ आए हैं. हमने इस ड्राफ्ट प्लान से आने वाली संख्याओं की मिलान करने की कोशिश भी की है, जो कि जनवरी से जुलाई 2021 तक की खुराक संख्या के लिए उपलब्ध हो जाएगी और हमें लगता है कि यदि वर्तमान परीक्षण योजना के अनुसार आगे बढ़े, और सफल रहे, तो डोसेज की संख्या जनवरी से जुलाई 2021 तक उपलब्ध होने वाली प्राथमिकता सूची के व्यक्तियों को वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त होगी. भूषण ने कहा कि हम इस पर काम कर रहे हैं. यह भी पढ़ें: COVID-19 Vaccine: सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला बोले- 2024 के आखिरी तक ही सबके लिए उपलब्ध हो सकेगी कोविड-19 वैक्सीन
उन्होंने कहा कि वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद भी लोगों को अपनी सुरक्षा में लापरवाही नहीं करनी चाहिए. “कोविड -19 वैक्सीन विकसित होने के बाद भी उसी सावधानी (बीमारी के खिलाफ) को जारी रखना होगा. हमें सतर्क रहना होगा ... हमें टेस्ट, ट्रीटमेंट और आइसोलेशन में रहना होगा. भारतीय चिकित्सा परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि इसके लिए आवश्यकता धीरे-धीरे कम हो सकती है, लेकिन इसमें छूट की कोई गुंजाइश नहीं है.
भारत पिछले 50 वर्षों से हर साल लगभग 25 मिलियन बच्चों और वयस्कों का टीकाकरण कर एक सफल यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम चला रहा है. “परिणामस्वरूप हमारे पास देश भर में पहले से मौजूद 28,000 से अधिक कोल्ड स्टोरेज हैं जो कि कार्यक्रम के तहत प्रशासित कई टीकों को संग्रहीत करने के लिए उपयोग किए जाते हैं. भूषण ने कहा कि इन सभी सुविधाओं में तापमान ट्रैकर हैं जो हमारे केंद्रीयकृत सर्वर पर वास्तविक समय में जानकारी अपलोड करने में मदद करते हैं.
“हमारे पास अपना एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसमें वैक्सीन खरीद से लेकर भंडारण, कोल्ड चेन और रेफ्रिजिरेट वाहनों में परिवहन सभी जानकारी अपडेटेड है. यदि नॉन रेफ्रिजिरेट वाहनों का उपयोग किया जाता है, तो उनमें वैक्सीन को परिवहन करने के लिए, एक विशेष प्रकार के रेफ्रिजिरेट बॉक्स का उपयोग किया जाता है, जो तापमान को विनियमित करता है. यह सुविधा भारत में पहले से मौजूद है और सरकार इस पर विचार कर रही है कि कोविड -19 वैक्सीन देने में सक्षम होने के लिए इस सुविधा को कैसे बढ़ाया जाए. इसके लिए हमारे पास एक राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञ समिति है, ”उन्होंने कहा.
कुछ निजी अस्पताल दावा कर रहे हैं कि उनके पास कोविड -19 वैक्सीन की बड़ी खुराक को संग्रहीत करने और प्रशासित करने का बुनियादी ढांचा है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सरकार निजी संस्थाओं से बात कर रही है.
“हम निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के साथ निरंतर जुड़े हैं और योजना के विकास के रूप में आगे बढ़ रहे हैं, हम इसे आपके साथ साझा करेंगे. हमारे पास देश में घरेलू रूप से सीरिंज और शीशियां भारी मात्रा में है. हम निर्माताओं के लगातार संपर्क में हैं. हमारे पास स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के भीतर एक मौजूदा इन्वेंट्री भी है, जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है. इसलिए, हम अपनी इन्वेंट्री का उपयोग कर रहे हैं और हम उस इन्वेंट्री का भी उपयोग कर रहे हैं जो वर्तमान में घरेलू उद्योग में उपलब्ध है, ”भूषण ने कहा.
विशेषज्ञों का कहना है कि तैयार रहना अच्छा है. कोई नहीं जानता कि यह वैक्सीन कब इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा लेकिन जब यह होगा तो कई देश इसे खरीदने के लिए तैयार होंगे. भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा, "इसलिए अभी से तैयारी शुरू करना समझदारी है. "