नई दिल्ली. भारतीय रेलवे (Indian Railway) भारत की सबसे शानदार परिवहन व्यवस्था में शामिल है, जो सुविधा के साथ-साथ भरोसा भी देता है. यही भरोसा रेलवे अभी भी कायम कर रही है. जहां लॉकडाउन (Lockdown in India) की वजह से यात्रा सेवाएं बंद हैं, वहीं भारतीय रेलवे देश के कोने-कोने में आवश्यक सेवाओं को पहुंचाने के लिए विशेष अभियान के तहत काम कर रही है.
चाहे आवश्यक सामानों की आपूर्ती हो या रेलवे कोच को आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward) में तब्दील करने का काम किया. हर काम में रेलवे ने बड़ा योगदान दिया है. आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ एवं पत्रकार शुभोमोय भट्टाचार्जी का कहना है कि रेलवे देश का एक तरह से बड़ा सपोर्ट सिस्टम है. अगर मरीज़ बढ़ते हैं तो और मरीजों के लिए वार्ड या बेड कम पड़ते हैं, तो ट्रेनों के कोच काफी सहायक होंगे. अब तक 5 हजार बोगियों में करीब 80 हजार बेड तैयार किए गए हैं. यही नहीं रेलवे ने देश के किसी भी कोने में आवश्यक सामानों की सप्लाई चेन को टूटने नहीं दिया। लॉकडाउन में ट्रकों की आवाजाही कम होने के बावजूद ट्रेनों ने लगातार सप्लाई की है. रेलवे स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर, गृह मंत्रालय, कृषि मंत्रालय के साथ कई अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है. यह भी पढ़े-कोरोना वायरस से जंग: भारतीय रेलवे ने 2,500 डिब्बों में तैयार किया 40,000 आइसोलेशन बेड
दुग्ध स्पेशल ट्रेन दूध दुरंतो.
भारतीय रेलवे दूध की आपूर्ति के लिए देश में दुग्ध स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है, जिसे दूध दुरंतो नाम दिया गया है. आंध्र प्रदेश के रेणिगंटा से दिल्ली के लिए अभी तक रेलगाड़ी कई लाख लीटर दूध पहुंचा चुकी है. रेल अधिकारियों का कहना है कि इस रेलगाड़ी को अब हर एक दिन के अंतराल पर चलाने की मांग है और दक्षिण मध्य रेलवे इस मांग को पूरी करने में लगी हुई है. इसी तरह की अन्य सुपर फास्ट ट्रेनें देश के अन्य भागों के लिए चलाई जा रही हैं, ताकि सही समय पर सामान पहुंचे.
अन्नपूर्णा एक्सप्रेस-जय किसान एक्सप्रेस.
एक राज्य से दूसरे राज्य में अनाज की आपूर्ति के लिए देश में अन्नपूर्णा एक्सप्रेस और जय किसान एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है. अन्नपूर्णा एक्सप्रेस उत्तर भारत के राज्यों में आवश्यक अनाजों की पूर्ति कर रही है तो दक्षिण भारत में जय किसान से खाद्यान की सप्लाई की जा रही है. रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक पंजाब और हरियाणा से 18 लाख टन से ज्यादा खाद्य सामग्री भारत के कोने-कोने में अब तक पहुंचायी गई है. जिसमें 5 हजार टन की खाद्य सामग्री अन्नपूर्णा एक्सप्रेस से पहुंचाई गई है. इसी तरह जय किसान से भी तेलंगाना, आंध्रा से कर्नाटका, तमिलनाडु और दक्षिण भारत के राज्यों में लाखो टन अनाज पहुंचाया जा रहा है. इन ट्रेनों की विशेषता है कि इन्हें दो मालगाड़ियों को जोड़ कर बनाया गया है. इसमें 84 वैगेन हैं और माल ढोने की दोगुनी क्षमता यानी 5200 टन है. आम तौर पर मालगाड़ी में 42 डिब्बे होते हैं और माल ढोने की क्षमता 2600 टन होती है. यह भी पढ़े-भारतीय रेलवे 20 हजार डिब्बों को बनाएगी आइसोलेशन वार्ड, कोरोना संक्रमित 3.2 लाख मरीजों का हो सकेगा इलाज
कोविड-19 आपातकालीन सेल.
भारतीय रेल ने यात्रियों और सभी कमर्शियल ग्राहकों के हितों का ध्यान रखते हुए आपूर्ति चेन को लगातार चालने के लिए हर संभव उपाय किए हैं. वहीं लॉकडाउन के दौरान लोगों की शिकायतें और सुझावों के लिए अलग से एक कोविड-19 आपातकालीन सेल बनाया गया है. रेलवे का यह आपातकालीन सेल एक राष्ट्रीय स्तर की यूनिट है, जिसमें रेलवे बोर्ड से लेकर उसके डिवीजनों तक के लगभग 400 अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान, यह सेल अलग-अलग प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रतिक्रिया दे रही है जिसमें, हेल्पलाइन नंबर 139 और 138, सोशल मीडिया (विशेष रूप से ट्विटर), ईमेल (railmadad@rb.railnet.gov.in)और सीपीग्राम हैं. लगभग 13,000 प्रश्नों, अनुरोधों और सुझावों का प्रतिदिन जवाब दे रहा है. इस सेल में स्थानीय भाषा के लोगों के लिए स्थानीय भाषा में जवाब और सुवधिया मुहैया कराई जा रही है. रात दिन 24 घंटे काम करने वाले इस प्रकोष्ठ के माध्यम से भारतीय रेल जनमानस की समस्याओं को समझने के लिए जमीनी स्तर पर जुड़ी हुई है. लोगों की शिकायतों और समस्याओं के त्वरित निबटान के प्रयास उसके लिए प्रशंसा अर्जित कर रहे हैं.
24 घंटे हेल्पलाइन सेवा मौजूद.
आपातकालीन सेल के अलग प्लेटफॉर्म के जरिए हेल्पलाइन नंबर 138 और 139 पर रेल सेवाओं के शुरू होने और टिकट वापसी के नियमों की जानकारी दी गई (ये दोनों नंबर खुद जनता से मिले फीडबैक के आधार पर शुरु किए गए थे)। लॉकडाउन की इसी अवधि के दौरान, हेल्पलाइन नंबर 138 पर 1,10,000 से अधिक कॉल आईं.