26 नवंबर को देश में संविधान दिवस मनाया जाता है. भारत के संविधान निर्माता के रूप में डॉ भीमराव अंबेडकर को जाना जाता है. इन्होंने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है. यह हस्तलिखित संविधान है. भारत का संविधान दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया था, इसीलिए इस संविधान को सबसे महत्वपूर्ण संविधान कहा जाता है. 26 नवंबर 1949 के दिन देश में भारतीय संविधान सभा द्वारा पारित किया गया. इसके ठीक एक साल बाद यह 26 नवंबर 1950 को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू हुआ.
भारतीय संविधान में वर्तमान में 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है. इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियां थीं.
पीएम मोदी ने संविधान निर्माताओं को किया याद
मन की बात के 50वें अंक में पीएम मोदी ने संविधान निर्माताओं को याद करते हुए कहा, 'कल ‘संविधान दिवस’ है. उन महान विभूतियों को याद करने का दिन जिन्होंने हमारा संविधान बनाया. 26 नवंबर, 1949 को हमारे संविधान को अपनाया गया था. पीएम मोदी ने कहा कि देश की महान विभूतियों ने हमें इतना व्यापक और विस्तृत संविधान दिया. इन्होंने जिस असाधारण गति से संविधान का निर्माण किया वो आज भी टाइम मैनेजमेंट और प्रॉडक्टिविटी का एक उदाहरण है.
Tributes to the makers of the Constitution.
The working of the Constituent Assembly gives us lessons in time management and productivity. #MannKiBaat50 pic.twitter.com/FxvNgD4KRc
— PMO India (@PMOIndia) November 25, 2018
पूरी दुनिया में सबसे बड़ा है भारतीय संविधान
प्रत्येक भारतीय के लिए वाकई यह गर्व की बात है कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. इसे बनाने में करीब 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे. आपको जानकार शायद हैरानी होगी कि भारतीय संविधान ना ही टाईप किया गया था और ना इसका प्रिंट निकाला गया था. हमारे पूरे संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषा में हाथ से लिखा गया था.
शांति निकेतन के राम मनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस जैसे महान कलाकारों द्वारा संविधान को पन्नों-पन्नों में खूबसूरती से उकेरा गया है. जिसकी ओरिजनल कॉपी संसद की लाइब्रेरी हीलियम केसेस में रखी गई है.
समान अधिकार देता है भातीय संविधान
भारतीय संविधान में साफ है कि भारत सब धर्मों को मानने वाला देश है. इसका कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और न किसी एक धर्म को बढ़ावा देना इसका लक्ष्य है. हर नागरिक को समान अधिकार है.
सत्यमेव जयते है अपना निति वाक्य
भारतीय संविधान जितना महान है, उतना ही महान इसका नारा है. भारतीय संविधान के नीति वाक्य सत्यमेव जयते को महामना मदन मोहन मालवीय ने चुना था, और अथर्ववेद से लिए गए इस वाक्य को 1911 में आबिद अली ने हिंदी में ट्रांसलेट किया था.