इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने से पहले सही आईटीआर फॉर्म का चयन करना बहुत जरूरी होता है, ताकि रिटर्न सही तरीके से और बिना किसी परेशानी के जमा हो सके. गलत फॉर्म भरने पर रिटर्न अमान्य माना जा सकता है, और इसे फाइल न करने के समान समझा जाएगा, जिससे कानूनी समस्याएं भी हो सकती हैं.
इस साल इनकम टैक्स विभाग ने एक बड़ा बदलाव किया है. अब आईटीआर-1 (सहज) और आईटीआर-4 (सुगम) फॉर्म में सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (Long-Term Capital) को रिपोर्ट करना संभव है. यह नए फॉर्म वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लागू होंगे. लेकिन अक्सर टैक्सपेयर्स को इन दोनों फॉर्म्स में कन्फ्यूजन होता है. कि कौन सा फॉर्म उनके लिए सही है.
आईटीआर-1 (सहज) क्या है?
आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म उन भारतीय निवासी लोगों के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होती है, और जो आमतौर पर सैलरी या पेंशन, एक घर की प्रॉपर्टी (जहां पहले का नुकसान नहीं हो), और दूसरे साधारण स्रोतों जैसे बैंक से मिलने वाले ब्याज से कमाते हैं.
यदि, आपकी कमाई में कैपिटल गेन है (सिवाय सेक्शन 112A के तहत मिलने वाले टैक्स छूट वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन के), कोई बिजनेस या प्रोफेशन की आमदनी है, 5,000 रुपये से ज्यादा की खेती-बाड़ी की आय है, आपके पास एक से ज्यादा घर की संपत्ति है, या विदेश से कोई आय या संपत्ति है, तो आप आईटीआर-1 फॉर्म नहीं भर सकते है.
आईटीआर-4 (सुगम) क्या है?
आईटीआर-4 (सुगम) फॉर्म उन लोगों के लिए है, जो छोटे व्यवसाय या प्रोफेशन चलाते हैं, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है, और जो प्रिसम्प्टिव टैक्स सिस्टम (Presumptive Taxation Scheme) को अपनाते हैं. इस सिस्टम में टैक्सपेयर अपनी आय को सरकार द्वारा तय की गई एक तयशुदा दर पर घोषित कर सकता है, जिससे उसे पूरा हिसाब-किताब रखने की जरूरत नहीं पड़ती है. यह फॉर्म व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), और फर्मों (LLP को छोड़कर) के लिए है, जो सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत टैक्स भरना चाहते हैं.
लेकिन अगर आपकी कमाई में विदेशी आय या संपत्ति शामिल है, आपके पास एक से ज्यादा घर की संपत्ति है, आपको कैपिटल गेन प्राप्त हुआ है (112A के तहत छूट वाले को छोड़कर), या आप पूरे बहीखाते रखते हैं, तो आपके लिए आईटीआर-4 फॉर्म भरना सही नहीं रहेगा.
कौन सा फॉर्म कब भरें?
विशेषज्ञों के अनुसार, आईटीआर-1 फॉर्म उन सैलरी पाने वाले व्यक्तियों के लिए बेहतर है, जिनकी आय साधारण है, और ज्यादा जटिल नहीं है. वहीं आईटीआर-4 फॉर्म उन लोगों के लिए है, जो छोटे व्यवसाय या प्रोफेशन में हैं, और प्रिसम्प्टिव टैक्सेशन विकल्प का इस्तेमाल करते हैं.
आईटीआर-1 और आईटीआर-4 दोनों ही फॉर्म्स में बदलाव के साथ अब टैक्सपेयर्स को अपनी आय और व्यवसाय के प्रकार के अनुसार सही फॉर्म चुनना जरूरी हो गया है. इससे न केवल टैक्स रिटर्न सही जमा होगा बल्कि भविष्य में किसी भी परेशानी से बचा जा सकेगा.













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