Coal Crisis: देश भर में बड़े स्तर पर कोयला संकट बना हुआ है. राज्य सरकारें इसका दोष केंद्र सरकार पर मढ़ रही हैं तो वहीं मोदी सरकार (Modi Government on Coal Crisis) इसका दोष राज्यों पर डाल रही हैं. वहीं इस बीच कोयले की कमी के चलते आउटेज के तहत कोयला आधारित क्षमता (Power System Operation Corporation Limited) पहले से और भी कम हो गई है. Power Crisis: केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी बोले, देश में बिजली संकट का खतरा नहीं
वहीं इस मामले में पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (POSOCO) ने बताया है कि कोयले के कम स्टॉक के चलते आउटेज के तहत इकाइयों की कुल क्षमता 12 अक्टूबर को 11 GW से घटकर 14 अक्टूबर को 5 GW हो गई है. वहीं कोयले के संकट का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के 17 पंजाब के तीन और केरल के चार प्लांट पूरी तरह से बंद हो चुके हैं.
The coal-based capacity under outage due to coal shortage has reduced. Power System Operation Corporation Limited (POSOCO) has reported that the total capacity of units under outage due to low coal stocks has reduced from 11 GW on 12th Oct to 5 GW on 14th Oct: Government of India
— ANI (@ANI) October 14, 2021
वहीं भारत का दुनिया का ऐसा चौथा देश है जहां बड़े स्तर पर कोयले का प्रोडक्शन होता है. बावजूद इसके देश कोयला संकट से जूझ रहा है. देश में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से ही होता है. लेकिन कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहरा गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के 135 प्लांट्स में कोयले से बिजली का निर्माण किया जाता है. इनमें से 21 प्लांट्स में कोयला पूरी तरह खत्म हो चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्लांट्स में कोयले का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है. हांलाकि केंद्र सरकार इन सब बातों को सिरे से खारीज कर रही है लेकिन राज्य सरकारें कोयला संकट की बातें कर रही हैं.