CM अमरिंदर सिंह ने पाक आर्मी चीफ कमर बाजवा को दी धमकी, कहा- हम भी पंजाबी है, भारत का माहौल खराब नहीं करने देंगे
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Photo Credits: IANS)

गुरुदासपुर: पंजाब (Punjab) के मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) की आधारशिला कार्यक्रम में एक बार फिर से पाकिस्‍तानी सेना को सख्‍त चेतावनी दी है. अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तानी सेना के चीफ कमर बाजवा (Qamar Bajwa) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमें पलटवार करने के लिए मजबूर नहीं करे. हम भी पंजाबी है और भारत का माहौल ख़राब नहीं करने देंगे.

मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह ने करतारपुर कॉरिडोर के लिए पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का धन्‍यवाद किया. इसके बाद पाकिस्तानी सेना पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा “मैं पाकिस्तानी सेना के चीफ कमर बाजवा से पूछना चाहता हूं कि सीजफायर तोड़कर जवानों को मारने की शिक्षा उन्हें कहां से मिली है? पाकिस्तान ISI कै माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देता है, पाकिस्तान पंजाब के लोगों को गुमराह करने की कोशिश करता है.”

गौरतलब हो कि करतरपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम की उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर की शुरुआत. गुरुदासपुर के डेरा बाबा नानक के काहलांवाली चौक के पास इसके लिए समारोह आयोजित किया गया. समारोह में उपराष्ट्रपति के साथ पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत अन्य कई बड़े नेताओं ने शिरकत की.

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पाकिस्तान ने शनिवार करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनकी कैबिनेट में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को न्योता भेजा था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान के निमंत्रण को ठुकरा दिया है. जबकि करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम में जाने का पाकिस्तान का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है.

गौरतलब हो कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब भारत-पाकिस्तान सीमा से 3 किलोमीटर की दूरी पर है. यहीं पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपना अंतिम वक्त गुजारा था. करतारपुर कॉरिडोर खुल जाने से भारत के श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित एक गुरुद्वारे के दर्शन करने वहां जा सकेंगे, जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव से जुड़ा हुआ है. अगस्त 1947 में विभाजन के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. लेकिन सिख धर्म और इतिहास के लिए यह बड़े महत्व का है.