COVID-19 के खतरे के बीच दिल्ली के बच्चों में दिख रही ये बीमारियां, चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने

राजधानी दिल्ली में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक बेहद ही चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. एक स्टडी के अनुसार दिल्ली में स्कूल जाने वाले लगभग हर तीसरे बच्चे में अस्थमा के लक्षण पाए गए हैं.

छात्र I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: देश में कोरोना (COVID-19) के मामले बढ़ने लगे हैं और तीसरी लहर (Third Wave) का खतरा बना हुआ है. इस बीच राजधानी दिल्ली (Delhi) में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक बेहद ही चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. एक स्टडी के अनुसार दिल्ली में स्कूल जाने वाले लगभग हर तीसरे बच्चे में अस्थमा के लक्षण पाए गए हैं. हाल में की गई एक स्टडी के अनुसार, कोट्टायम और मैसूर के बच्चों की तुलना में दिल्ली में बच्चों में अस्थमा और एलर्जी के लक्षण अधिक थे. COVID-19: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच खुल गए हैं स्कूल, एम्स डायरेक्टर ने बताया बच्चों के टीकाकरण में लगेगा कितना वक्त.

अध्ययनकर्ताओं ने दिल्ली की तुलना कोट्टायम (केरल) और मैसूर (कर्नाटक) से की थी, जिसमें यह पता चला. दोनों शहर में प्रदूषण का स्तर राजधानी की अपेक्षा कम है. इस सर्वे के लिए 13-14 और 16-17 आयु वर्ग के बच्चों को चुना गया. 3,157 स्कूली बच्चों पर किए गए इस अध्ययन को 31 अगस्त, 2021 को एक प्रमुख पीयर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल, लंग इंडिया में प्रकाशित किया गया.

स्टडी में दिल्ली के 928, कोट्टायम के 1040 और मैसूर के 1189 बच्चों को शामिल किया गया. ये बच्चे इन शहरों में कम से कम दस साल से रह रहे थे. स्टडी करने वाली टीम ने एक बयान में बताया कि अध्ययन में पाया गया कि किशोरों में अस्थमा, एलर्जी, श्वसन मार्ग में रूकावट या अस्थमा और बालपन अस्थमा के लक्षण अधिक थे.

दिल्ली में 52.8 फीसद स्कूली बच्चों ने छींक, 44.9 फीसद ने आंख में पानी आने, 38.4 ने कफ, 31.5 फीसद ने सांस की तकलीफ, 11.2 ने छाती में जकड़न की शिकायत की. कोट्टायम और मैसूरु में 39.3 फीसद स्कूली बच्चों ने छींक, 28.8 फीसद ने आंख में पानी आने, 18.9 ने कफ, 10.8 फीसद ने सांस की तकलीफ, 4.7 प्रतिशत ने छाती में जकड़न की शिकायत की.

स्टडी में दावा किया गया है कि दिल्ली के बच्चे अन्य दो शहरों के बच्चों की तुलना में अधिक मोटे और अधिक वजन (39.8 प्रतिशत बनाम 16.4 प्रतिशत) वाले थे. स्टडी के अनुसार लिए गए नमूनों में लड़कों में लड़कियों की तुलना में अस्थमा का प्रसार दो गुना अधिक पाया गया. तीनों जगह यह बात सामान्य तौर पर देखी गई.

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