मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ रहा छत्तीसगढ़
सीएम भूपेश बघेल (Photo Credits: Facebook)

रायपुर: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने हमेशा छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के हर नागरिक के विकास को प्राथमिकता दी है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अपार जन समर्थन के साथ सत्ता में आई बघेल सरकार को अगले महीने दो साल पूरे होने वाले है. अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य को तरक्की के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. छत्तीसगढ़ के दो मत्स्य कृषकों ने बढ़ाया राज्य का मान, 21 नवम्बर को दिल्ली में मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान

छत्तीसगढ़ की बागडोर संभालते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गरीब व परेशान जनता को सभी पहलुओं पर सशक्त बनाने के काम में लग गए. उन्होंने पहली ही कैबिनेट बैठक में किसानों से ली हुई 6400 हेक्‍टेयर जमीन तत्काल वापस लौटाने और किसानों के अल्पकालिक ऋणों को माफ करने की क्रांतिकारी पहल की. इसके बाद लगातार योजनाओं और परियोजनाओं की सौगात देकर छत्तीसगढ़ के लोगों की जिंदगी को खुशहाल बनाने का प्रयास किया है. आइए देखते हैं मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई वाली सरकार किस तरह संपन्न छत्तीसगढ़ के रचनाकार के तौर पर काम कर रही हैं-

राजीव गांधी किसान न्याय योजना:

किसानों को फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना तथा कृषि रकबे में वृद्धि करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रावधानित 5750 करोड़ रूपए की राशि किसानों के खातों में चार किस्तों में दी जा रही है. 2 अक्टूबर 2020 तक 3 हजार करोड़ का भुगतान किया गया. इसकी तीसरी किस्त का भुगतान 01 नवम्बर 2020 को किया गया. इस योजना से प्रदेश 19 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को 'राजीव गांधी किसान न्याय योजना' के दूसरे चरण में शामिल करने का निर्णय लिया है.

नरवा, गरवा, घुरवा और बारी:

सुराजी गांव योजना के अंतर्गत 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' कार्यक्रम शुरू किया गया है. इस का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को परंपरागत घटकों को संरक्षित तथा पुनर्जीवित करते हुए गांवों को राज्य की अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाना है. साथ ही पर्यावरण में सुधार करते हुए किसानों तथा ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि करना है.

नई औद्योगिक नीति:

राज्य के औद्योगिक विकास को गति देने, समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने एवं परिपक्व अर्थव्यवस्था का निर्माण करने के लिए नवीन औद्योगिक नीति 2019-24 लागू की गई है. इससे कृषि एवं वन आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन देना है. धान तथा गन्ने से बायो इथेनाल के उत्पादन को विशेष रूप से उच्च प्राथमिकता, ताकि कृषि उत्पादों को स्थानीय स्तर पर समुचित मूल्य मिल सके. नयी औद्योगिक नीति के तहत स्थापित होने वाले उद्यमों में आवश्यक कुशल श्रेणी में 70 प्रतिशत, अकुशल श्रेणी में 100 प्रतिशत एवं प्रबंधकीय श्रेणी में 40 प्रतिशत रोजगार स्थानीय निवासियों को देने का प्रावधान है. राज्य मे 200 फूड पार्क बनाने का लक्ष्य है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य में नवीन उद्योगों में 12,633 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ, जिससे स्थापित 435 उद्योगों में 7726 व्यक्तियों को रोजगार मिला. वर्ष 2020-21 में अब तक 213 करोड़ रूपए से अधिक पूंजी निवेश के साथ 110 स्थापित उद्योगों में 4346 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हुआ है.

मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना:

इस योजना के जरिये जन सामान्य की सुविधा के लिए प्रदेश के सभी शासकीय भवनों-चिकित्सालय, स्कूल, कॉलेज, पंचायत भवन, उचित मूल्य की दुकान, आंगनबाड़ी भवनों सहित अन्य शासकीय शैक्षणिक संस्थानों के भवन, हाट-बाजार, शमशान घाट, मेला स्थल, धान संग्रहण केन्द्रों को मुख्य मार्ग से बारहमासी पक्की सड़क से जोड़ा जा रहा है. लोक निर्माण विभाग द्वारा योजना के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसी साल जून महीने में शुरू हुई योजना से शासकीय सेवा केंद्रों तक सामान्य जन की पहुंच सुगमता से होगी.

पौनी पसारी योजना:

इस योजना में असंगठित क्षेत्र के परंपरागत व्यवसाय करने हेतु इच्छुक व्यक्तियों एवं स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कौशल उन्‍नयन उपरांत सघन शहरी क्षेत्रों में व्यवसाय हेतु दस रूपये प्रति दिवस के दैनिक शुल्क पर चबूतरा उपलब्ध कराने का प्रावधान है. अद्यतन 92 नग पौनी-पसारी बाजारों के निर्माण कार्य हेतु कुल राशि 23.69 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. योजना के लिए आगामी दो वर्ष में 73 करोड़ रूपए से अधिक की राशि खर्च करने का लक्ष्य रखा है. पौनी पसारी के मानक डिजाइन अनुसार प्रति बाजार परिसर में 15 बड़े चबूतरे उपलब्ध रहेंगे, जिन पर लगभग 90 लोग अपना व्यवसाय कर सकेंगे. योजना के तहत 12 हजार से अधिक परिवारों को रोजगार मिल सकेगा.

सार्वभीम पीडीएस:

प्रदेश के आयकर एवं गैर आयकर दाता समस्त परिवारों को खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना है. योजनान्तर्गत अन्त्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित, अन्नपूर्णा, निःशक्तजन एवं सामान्य राशनकार्डधारी परिवार शामिल है. योजना लागू होने से अब प्रदेश के सभी परिवार राशन कार्ड के लिए पात्र है. वर्तमान में राज्य की 96 प्रतिशत जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा मिल रही है. सरकार ने सभी गरीब परिवारों को 35 किलो चावल देने का वादा पूरा है. राज्य के अनुसूचित और माडा क्षेत्र के 25 लाख अंत्योदय एवं प्राथमिकता परिवारों के भोजन में प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए रियायती दर 5 रूपये प्रति किलो की दर पर प्रतिमाह 2 किलो चना प्रदान किया जा रहा है.

शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना:

छत्तीसगढ़ राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे हुए लगभग 12.50 लाख संग्राहक परिवारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से वन विभाग एवं छत्तीसगढ़ राज्य के लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित के समन्वय से यह योजना प्रारंभ की गई है. इसके तहत तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 2,500 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4,000 रुपये प्रति मानक बोरा किया गया.

वन अधिकार अधिनियम:

इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति के पात्र लोगों को वन अधिकार पत्र प्रदान किए जाने हेतु अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी वनअधिकार कानून (मान्यता, 2006 एवं संशोधन, 2012) का उचित रूप से क्रियान्वयन करना है. छत्तीसगढ़ राज्य में 4,41,000 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है, जिसका रकबा 9,41,600 एकड़ से अधिक है. जबकि 46 हजार से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है जिसका रकबा 41,64,700 एकड़ से अधिक है. इस प्रकार व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों में कुल 51,06,000 एकड़ से अधिक व्यक्तिगत एवं विभिन्‍न सामुदायिक वन अधिकारों का स्थानीय समुदायों में वितरण किया गया है. इसके क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ राज्य देश में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा हैं.

मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय:

नगरीय निकायों में प्रत्येक वार्ड में निवास करने वाले स्थानीय नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों का शुभारंभ किया गया. सुशासन के दृष्टिकोण से शहरी क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों की दैनिक समस्याओं का निराकरण उनके ही वार्ड में हो सके एवं निकाय के अधिकारी प्रत्येक वार्ड में नागरिकों से चर्चा कर उनकी समस्याओं का त्वरित निदान करें इस उद्देश्य से वार्ड कार्यालयों का गठन किया गया है. इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2019 को प्रदेश के समस्त नगर निगमों में वार्ड कार्यालय प्रारंभ कर की गई. इसके तहत वार्ड कार्यालयों में साफ-सफाई, सड़कों का निर्माण, नालियों का निर्माण, सड़कों एवं नालियों का संधारण, स्ट्रीट लाइट संधारण, उद्यानों तथा सामुदायिक भवनों की साफ-सफाई, पाइपलाइन लीकेज संधारण, स्वच्छ पेयजल से संबंधित समस्‍या का शीघ्र निराकरण तथा निकाय द्वारा जारी की जाने वाली विभिन्‍न सेवाएं सुगमता से उपलब्ध कराना है.

राम वनगमन पर्यटन परिपथ:

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ को विकसित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में 9 स्थलों का चयन किया गया है. इन स्थलों में सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ (अम्बिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा) शामिल हैं. राम वन गमन पर्यटन परिपथ में प्रस्तावित 9 स्थलों को लेते हुए पर्यटन विभाग द्वारा एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है, जिसकी लागत 137.45 करोड़ रूपए है.