कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में प्रदेश के मत्स्य कृषक नवीनतम तकनीक को अपनाते हुए सफलता अर्जित कर रहे हैं. मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्मनिर्भर हैं. विगत दो वर्षो में प्रदेश में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मत्स्य बीज उत्पादन 251 करोड़ स्टैण्डर्ड फ्राई से 267 करोड़ स्टैण्डर्ड फ्राई का उत्पादन में किया हैं. देश में राज्य का मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में छठवां स्थान हैं. राज्य के मत्स्य कृषक प्रदेश में आवश्यक मत्स्य बीज प्रदाय करने के अतिरिक्त मध्यप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आध्रप्रदेश एवं बिहार प्रदेशों को भी निजी क्षेत्र द्वारा मत्स्य बीज की आपूर्ति कर रहे हैं. यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है. संचालक मछली पालन ने बताया कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर राज्य के मत्स्य कृषक 6-7 मेट्रिक टन तक मत्स्य उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं. विगत दो वर्षो में प्रदेश में 9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मत्स्य उत्पादन 4.89 लाख मिटरिक टन से 5.31 लाख मिटरिक टन का उत्पादन हुआ हैं. देश में राज्य का मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में भी छठवां स्थान हैं. यह भी पढ़े: सीएम भूपेश बघेल प्रदेश की जनता को देंगे एक और पर्यटन स्थल की सौगात, 19 नवंबर को होगा ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी नेचर सफारी मोहरेंगा’ का लोकार्पण
राज्य में विगत दो वर्षो में मत्स्य कृषकों द्वारा स्वयं की भूमि पर 1000 तालाबों का निर्माण कर पंगेशियस प्रजाति का उत्पादन किया जा रहा है. प्रदेश के प्रगतिशील मत्स्य कृषक एवं जिला कांकेर के कृषकों द्वारा समूह में तालाबों का निर्माण कर विशेषकर पंगेशियस मत्स्य प्रजाति का नवीनतम तकनीक के साथ-साथ पूरक आहार का उपयोग कर 60-70 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर तक मत्स्य उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं जिससे प्रदेश वासियों को स्वस्थ्य प्रोटीन युक्त ताजा आहार उपलब्ध हो रहा हैं. राज्य में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु तीव्र बढ़वार वाली मत्स्य ‘‘तिलापिया‘ का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है. निजी क्षेत्र में एक तिलापिया बीज उत्पादन हेतु हैचरी रायपुर में स्थापित की गई हैं प्रदेश में प्रति दिवस लगभग 20 टन तिलाबिया की मांग है. तिलापिया मत्स्य का निर्यात अन्य राज्यों जैसे केरल, उत्तर प्रदेश, मघ्य प्रदेश को किया जा रहा है. प्रदेश में इस वर्ष 3.00 करोड़ तिलापिया मत्स्य बीज निजी क्षेत्र में उत्पादित किया गया है. यह भी पढ़े: सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ रहा है छत्तीसगढ़, मुख्यमंत्री 19 नवंबर को करेंगे दाई-दीदी क्लीनिक का शुभारंभ
राज्य के मध्यम एंव बड़ेे जलाशयों में मत्स्य की शत्-प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित करती है केज कल्चर तकनीक. इस तकनीक में जलाशयों में 6x4x4 मीटर के केज बनाकर तीव्र बढ़वार वाली मत्स्य जैसे कि ‘पंगेशियस‘ एवं ‘तेलापिया‘ का पालन किया जाता है। प्रति केज 3000-5000 किलो मत्स्य उत्पादित की जाती है. अब तक प्रदेश के 11 जिलों में 1400 केज स्थापित हो चुके है. प्रदेश के सबसे बड़े जलाशय हसदेव बांगो, कोरबा में 1000 केज की परियोजना स्वीकृत की गई है. इन्हें स्थापित कर प्रति हितग्राही 05-05 केज की इकाई एक-एक हितग्राही को मत्स्य पालन हेतु आबंटित की जावेगी. उक्त केज स्थानीय अनुजनजाति के मत्स्य पालकों को प्रदाय कर शासन की ओर से 40 से 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इसमें डुबान क्षेत्र में आने वाले व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जावेगी. यह भी पढ़े: Chhattisgarh: रंग लाई CM भूपेश बघेल की मेहनत, राजीव गांधी किसान न्याय योजना से मजबूत हुई राज्य की अर्थव्यवस्था
प्रदेशवासी मछलीपालन के क्षेत्र में क्रियान्वित नवीनतम तकनीक जैसे एकीकृत मत्स्य पालन, सघन मत्स्य पालन, पंगास पालन, रिसर्कलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आर.ए.एस.) तकनीक के माध्यम से कम क्षेत्र एवं कम जलक्षेत्र में पानी को निरन्तर परिशुद्धि कर मत्स्य पालन अपनाकर सफलता अर्जित कर रहे हैं, जिससे प्रदेश का मत्स्य उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है. प्रदेश की आर.एस.ए. तकनीक का अन्य प्रदेश से मछलीपालन अधिकारी एवं प्रगतिशील मत्स्य कृषक यहाँ प्रयोग की नई तकनिकों का अध्ययन एवं परीक्षण कर प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं. प्रदेश में नवीनतम तकनीक से कम क्षेत्र में छोटी-छोटी टंकिया स्थापित कर कम जलक्षेत्र में परिपूरक आहार का उपयोग कर मछली पालन कर अधिक उत्पादन लेने हेतु बायोफ्लॉक तकनीक संचालित किये जाने हेतु शासन द्वारा इस वर्ष से मत्स्य कृषकों को प्रोत्साहन करने हेतु योजना स्वीकृत की गई है. जिसके तहत् प्रदेश वासियों को राशि 7.50 लाख रूपए लागत की इकाई स्थापना पर लागत राशि पर 40 प्रतिशत आर्थिक सहायता दिया जाने का प्रावधान रखा गया है.