Chandrayaan-3 Update: घबराने की बात नहीं! ISRO ने बताया कब जागेंगे विक्रम-प्रज्ञान, डेटा एनालिसिस जारी
इसरो ने कहा है कि घबराने की जरुरत नहीं है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में ऐसी तकनीक भेजी गई है, कि जैसे ही वो पूरी तरह से सूरज की रोशनी से ऊर्जा हासिल कर लेंगे. वो खुद-ब-खुद जग जाएंगे.
Chandrayaan-3 Update: 14 दिनों की रात के बाद चांद के साउथ पोल पर एक बार फिर सूरज की रोशनी पहुंचने लगी है। ऐसे में इसरो को स्लीप मोड पर डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के जागने की उम्मीद है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जब सुलाया गया था, तब उनके कुछ सर्किट को जगते रहने का निर्देश दिया गया था. ताकि वो इसरो का मैसेज रिसीव कर सकें. इसरो लगातार संपर्क कर रहा है, लेकिन विक्रम या प्रज्ञान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.
इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा है कि घबराने की जरुरत नहीं है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में ऐसी तकनीक भेजी गई है, कि जैसे ही वो पूरी तरह से सूरज की रोशनी से ऊर्जा हासिल कर लेंगे. वो खुद-ब-खुद जग जाएंगे. यानी वे ऑटोमैटिकली एक्टिव हो जाएंगे. हमारे पास अभी 13-14 दिन बाकी है. Chandrayaan-3: आज एक्टिव क्यों नहीं हुआ चंद्रयान-3? ISRO के वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा
सूरज के ढलने यानी शिव शक्ति प्वाइंट पर फिर से अंधेरा होने से पहले खुशखबरी आ सकती है. फिलहाल लैंडर-रोवर निष्क्रिय हैं. यह प्रयास तब तक जारी रहेगा, जब तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती.
चांद पर सुबह हो चुकी है. रोशनी पूरी तरह से मिल रही है. लेकिन चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को अभी तक पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिली है. चंद्रयान-3 से कई इनपुट मिले हैं, जिनकी इसरो वैज्ञानिक गहनता से जांच कर रहे हैं. पिछले दस दिनों के डेटा का भी एनालिसिस किया जा रहा है. इस दौरान प्रज्ञान रोवर ने 105 मीटर तक मूवमेंट किया है. उस समय चांद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके में तापमान माइनस 120 से माइनस 220 डिग्री सेल्सियस था. इससे यंत्रों का सर्किट बिगड़ता है.
चांद से आ रहे सिग्नल कभी स्थिर हैं. कभी उछल रहे हैं. कभी एकदम गिर जा रहे हैं. विक्रम का ट्रांसपोंडर RX फ्रिक्वेंसी का है. उसे 240/221 की दर की फ्रिक्वेंसी पर काम करना चाहिए. लेकिन वह 2268 मेगाहर्ट्ज का सिग्नल दे रहा है.
विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जिस जगह है, वहां पर सूरज की रोशनी 13 डिग्री पर पड़ रही है. इस एंगल की शुरुआत 0 डिग्री से शुरू होकर 13 पर खत्म हो गई. यानी सूरज की रोशनी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर टेढ़ी पड़ रही है.