नई दिल्ली: देश की शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के रूप में आलोक वर्मा (Alok Verma) को बहाल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का यह फैसला मोदी सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं है. इस आदेश के बाद से केंद्र सरकार की ओर से सफाई में कहा गया कि सीबीआई के निदेशक पद से आलोक वर्मा की छुट्टी करना मौजूदा स्थिति की जरुरत थी. आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का फैसला जांच एजेंसी की साख बचाने के लिए लिया गया था.
सीबीआई के निदेशक पद पर आलोक वर्मा को बहाल करने के आदेश के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेगी. सरकार ने सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने की कार्रवाई सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) की अनुशंसा पर की थी. दोनों अधिकारियों- आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने का फैसला केवल निष्पक्ष जांच के लिए लिया गया था.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के पूरे फैसले का अध्ययन करने के बाद ही आगे का निर्णय लेगी. गौरतलब हो कि शीर्ष न्यायालय ने सीबीआई के निदेशक और एनजीओ 'कॉमन कॉज' की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें 23-24 अक्टूबर मध्यरात्रि को सरकार द्वारा लिए फैसले को चुनौती दी गई थी.
FM:This action was taken perfectly bonafide as there were cross-allegations made by both the officers,&in accordance with recommendations of CVC.The govt had felt that in the larger interest of fair&impartial investigation&credibility of CBI,the 2 officers must recuse themselves.
— ANI (@ANI) January 8, 2019
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश के.एम. जोसेफ की पीठ ने वर्मा को पद पर बहाल करते हुए कहा कि मामला सिलेक्शन कमेटी के पास जाएगा जो इस मुद्दे पर गौर करेगी.
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मुख्य न्यायाधीश गोगोई की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश कौल ने कहा कि सिलेक्शन कमेटी मंगलवार से सात दिनों के भीतर बैठक करेगी और तब तक वर्मा किसी भी तरह के नीतिगत फैसले नहीं ले पाएंगे. इस कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं.