मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसी महिला को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसने 90 दिनों की वैधानिक अवधि का इंतजार किए बिना दोबारा शादी कर ली. हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार, परिवार न्यायालय द्वारा पारित डिक्री की तारीख से 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की जा सकती है. SC On Divorce: शादी के बाद सेटल होने में समय लगता है, सिर्फ 40 दिन बाद तलाक लेकर पति-पत्नी अलग नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट.
जस्टिस आरडी धानुका और जस्टिस मिलिंद सथाये की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट द्वारा 2019 में पारित तलाक की डिक्री पर दी गई रोक को हटाने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट पत्नी द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था जिसमें अदालत से उसके पूर्व पति द्वारा दायर अपील को खारिज करने का आग्रह किया गया था जिसमें एफसी द्वारा दिए गए तलाक को चुनौती दी गई थी. उसने तर्क दिया कि वह पहले ही पुनर्विवाह कर चुकी है और इसलिए अपील को लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
Bombay High Court Refuses Relief To Divorced Woman Who Remarried During Appeal Period Despite Claim Of Living Separately Since 2013 @CourtUnquote #BombayHighCourt #Divorce https://t.co/5lvFZ37YSy
— Live Law (@LiveLawIndia) April 19, 2023
इस जोड़े की शादी 2006 में हुई थी और उनका एक बच्चा भी है. पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर फैमिली कोर्ट ने 2019 में उसके तलाक को मंजूर कर लिया और उसे बच्चे की स्थायी हिरासत भी दे दी. पति ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की.
अंतरिम राहत के तौर पर फैमिली कोर्ट के तलाक वाले आदेश पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद पत्नी ने वर्तमान आवेदन में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और शिकायत को खारिज करने की मांग की.