BIMSTEC प्रमुख तेनजिन लेकफेल 22 से 25 अगस्त तक भारत यात्रा पर होंगे
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बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC) के महासचिव तेनजिन लेकफेल 22-25 अगस्त को भारत के दौरा पर होंगे. विदेश मंत्रालय (MEA) के सचिव, सौरभ कुमार ने भारत आने के लिए आमंत्रित किया था.  विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि लेकफेल इस यात्रा पर वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ (BIMSTEC) संगठन को  सहयोग को आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा करेंगे. यह भी पढ़ें: माता वैष्णो देवी की यात्रा बारिश के चलते रातभर रुके रहने के बाद फिर से आरंभ

लेकफेल ने 06 नवंबर 2020 को बिम्सटेक के महासचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया था. वह तीसरे बिम्सटेक महासचिव हैं उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के वाई कॉलेज से कृषि विकास में मास्टर्स डिग्री और शेरुबत्से कॉलेज, यूनिवर्सिटी दिल्ली से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है.

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने एक मिलिशिया अधिकारी के रूप में रॉयल भूटान सेना में शामिल होने के लिए स्वेच्छा से भाग लिया और लगभग पांच वर्षों तक देश की सेवा की उसके बाद, वह भूटानी सिविल सेवा में शामिल हो गए और एक दशक से अधिक समय तक सेवा की.

भारत बिम्सटेक प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा सहयोग स्तंभ का नेतृत्व करता है जिसमें आपदा प्रबंधन, समुद्री सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा शामिल है, जो सभी क्षेत्र में एसडीजी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं,  श्रीलंका में आयोजित 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में, 7 बिम्सटेक सदस्य देशों (बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड) के नेताओं ने बिम्सटेक चार्टर को अपनाया.

भारत ने इस नव निर्मित क्षेत्रीय संगठन को तेजी से मजबूत करने और बिम्सटेक सहयोग को अगले स्तर तक ले जाने के महत्व पर जोर दे रहा है, बिम्सटेक भारत को दो प्रमुख नीतियों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है- नेबरहुड फर्स्ट , एक्ट ईस्ट (भारत को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ना) और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास.

यह समूह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास का अवसर भी प्रदान करता है - उन्हें बांग्लादेश और म्यांमार के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से जोड़ता है , यह भारत को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रसार के कारण बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों में चीन के  प्रभाव का मुकाबला करने की भी अनुमति देता है. बिम्सटेक भारत के लिए अपने पड़ोसियों के साथ जुड़ने का एक नया मंच है, क्योंकि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण निष्क्रिय हो गया है.