नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) मामले में बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने बरसों चली सुनवाई के आधार पर पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व सांसद विनय कटियार और कई अन्य वीएचपी नेता समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. अपने फैसले में स्पेशल जज ने कहा कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और अचानक हुई है. इस मामले में कोई दोषी साबित नहीं हुआ है.
28 साल पुराने बाबरी विध्वंस केस में बीते 24 जुलाई को 92 वर्षीय आडवाणी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था. वहीं 86 वर्षीय जोशी ने आडवाणी से एक दिन पहले अपना बयान दर्ज कराया था. सभी नेताओं ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. सुनवाई के दौरान ही आरोपियों में से बाल ठाकरे, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, गिरिराज किशोर और विजयाराजे सिंधिया समेत कुछ अभियुक्तों का निधन हो गया. और अब कुल 49 आरोपियों में से 32 ही बचे हैं. दिल्ली दंगा: कट्टरपंथी संगठन ने बाबरी मस्जिद मामले में फैसले के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया था
All accused in Babri Masjid demolition case acquitted by Special CBI Court in Lucknow, Uttar Pradesh. pic.twitter.com/9jbFZAVstH
— ANI (@ANI) September 30, 2020
वहीं, फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए है. पहले ही राज्यभर में हाई अलर्ट लगा दिया गया है. बताया जा रहा है कि पूरे इलाके में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें से आधे सादे कपड़ों में तैनात है.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 25 जिले जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील हैं, वहां खास ध्यान दिया जा रहा है. जबकि लखनऊ और अयोध्या में रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को भी तैनात किया गया है. कोर्ट में भी विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है. यहां पुलिस के साथ ही सीआईडी, लखनऊ खुफिया इकाई और सीआरपीएफ और डॉग स्क्वायड को तैनात किया गया है.
अप्रैल 2017 में शीर्ष अदालत ने विशेष अदालत से दिन-प्रतिदिन की सुनवाई करने और दो साल के भीतर मुकदमे को पूरा करने के लिए कहा था. इसके बाद मुकदमा पूरा करने के लिए कई बार समयसीमा को बढ़ाया भी गया. वहीं पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और उक्त स्थान पर मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी.
दिसंबर 1992 में 15वीं सदी के निर्मित बाबरी के ढांचे को गिरा दिया गया था. परिणामस्वरूप देशभर में दंगे हुए थे, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इस घटना के बाद कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था.