Apocalyptic Virus Next: क्या मुर्गियां बनेंगी अगली महामारी का कारण? वैज्ञानिक की चेतावनी- चिकन फार्म से उभर सकता है घातक प्लेग, कोरोना से ज्यादा होगा खतरनाक
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Apocalyptic Virus: कोरोना वायरस महामारी या कोविड-19 (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट होकर लड़ाई  लड़ रही है. इस महामारी (Pandemic) के चलते अब तक वैश्विक स्तर पर 3,80,000 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच एक वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि अभी एक घातक प्लेग (Deadlier Plague) आना बाकी है, जो वैश्विक आबादी का आधा हिस्सा मिटा सकता है. लोकप्रिय पुस्तक हाउ नॉट टू डाई (How Not To Die) के लेखक डॉ. माइकल ग्रेगर (Dr Michael Greger) ने दावा किया है कि मुर्गियां (Chickens) अगली महामारी का कारण हो सकती है, जो कोरोना वायरस से भी ज्यादा घातक हो सकती है. उनके अनुसार, चिकन फार्म से एपोकैलिप्टिक वायरस (Apocalyptic Virus) फैल सकता है, जिसके कारण कोरोना वायरस की तुलना में अधिक मौतें हो सकती हैं.

हाऊ टू सर्वाइव ए पैन्डेमिक (How To Survive A Pandemic) शीर्षक वाली अपनी लेटेस्ट बुक में डॉ. ग्रेगर ने चेतावनी दी है कि जब तक मुर्गीपालन है, तब तक महामारी रहेगी. डॉ. ग्रेगर ने जानवरों पर आधारित उत्पादों के उपयोग के खिलाफ अभियान चलाने में वर्षों बिताए हैं. उन्हें डर है कि जानवरों के साथ मनुष्यों का घनिष्ठ संबंध महामारी का सबसे खराब प्रकार हो सकता है. बता दें कि चीन के वुहान से फैले नोवेल कोरोना वायरस (Novel Coronavirus) की उत्पत्ति का कारण चमगादड़ों (Bats) को माना गया है. यह भी पढ़ें: Coronavirus Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन बनाने की रेस में जाने कौन सा देश है सबसे आगे, आयुर्वेद हैं सफलता से कितना दूर

चिकन फार्म से उभर सकती है अगली महामारी

डॉ. ग्रेगर ने भविष्यवाणी की है कि चिकन फार्म से एक और घातक महामारी फैल सकती है. 1997 में हांगकांग में H5NI बर्ड फ्लू के प्रकोप को खत्म करने के लिए लाखों मुर्गियों को मार दिया गया था, लेकिन यह फ्लू साल 2003 और 2009 के बीच फिर से उभरा, जिससे यह साबित होता है कि इस वायरस को कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं किया गया था और न ही हो सकता है.

चिकन फार्म से एक और वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए डॉ. ग्रेगर ने मुर्गियों के पालन के तरीकों को बदलने का सुझाव दिया है. ज्यादातर फार्म में मुर्गियों को ऐसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रखा जाता है, जिससे पक्षी अपने पंखों को भी फड़फड़ा नहीं पाते हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि उनकी बूंदों से उच्च अमोनिया का स्तर बीमारियों के लिए एक नुस्खा तैयार करता है. यह भी पढ़ें: Coronavirus: कोविड-19 को हराना है तो अपनाएं इससे लड़ने का सही तरीका, कोरोना संक्रमण से बचने के लिए बरतें ये सावधानियां

इस समस्या के समाधान का सुझाव देते हुए डॉ. ग्रेगर ने मुर्गियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया. उन्होंने सुझाव दिया कि पॉल्ट्री किसान कम भीड़भाड़ वाले स्थानों पर छोटे झुंडों को बाहरी पहुंच, बेहतर स्वच्छता और मानव एंटीवायरल के उपयोग के बिना बढ़ाएं. उन्होंने आगे कहा कि अंडे के अप्राकृतिक उत्पादन और प्रजनन के अभ्यास को समाप्त करने की भी आवश्यकता है.