दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक वयस्क महिला "जहां चाहे वहां अपनी इच्छा से रह सकती है."उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महिला के भाई द्वारा दायर याचिका में लिखा है कि उसकी बहन का अपहरण किया गया है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रजनीश भटनागर की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महिला से बातचीत के बाद कहा कि महिला सुलेखा अगर चाहती है तो बबलू के साथ रह सकती है. अदालत के रिकॉर्ड में दोनों की पहचान उनके पहले नामों से हुई थी. यह भी पढ़ें: दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन दवाई बेचने पर लगाई रोक
पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता महिला के भाई और सुलेखा के माता-पिता की काउंसिलिंग करेंगे कि वे कानून को हाथ में न लें या सुलेखा या बबलू को धमकी दें. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस स्टेशन के बीट कांस्टेबल का मोबाइल फोन नंबर सुलेखा और बबलू दोनों को मुहैया कराया जाएगा ताकि वे जरूरत पड़ने पर पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर सकें. यह भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा मामला: प्रेग्नेंट सफूरा जरगर को दिल्ली हाई कोर्ट से मानवीय आधार पर मिली जमानत
अदालत भाई प्रवीण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी बहन सुलेखा 12 सितंबर को लापता हो गई थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें बबलू पर शक था और उसने मांग की कि उसकी बहन को अदालत में पेश किया जाए. सुलेखा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया जहां न्यायाधीशों ने उसके साथ बातचीत की. उसने अदालत को बताया कि उसने बबलू से शादी कर ली है.
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि महिला का जन्म 2000 में हुआ था और वह नाबालिग नहीं थी, अदालत ने उसे बबलू के साथ रहने की अनुमति दी साथ ही उसे सुरक्षा भी प्रदान की.
अदालत ने कहा, सुलेखा अपनी इच्छा के अनुसार जहां चाहती है वहां रह सकती है.
उच्च न्यायालय ने पुलिस को सुलेखा को बबलू से बचाने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि उन्हें उनके परिवारों द्वारा परेशान नहीं किया जाए.