Alluri Sitarama Raju Birth Anniversary: कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू? जिन्होंने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी, जानें महान क्रांतिकारी की वीरगाथा

Alluri Sitarama Raju Birth Anniversary: आज हम एक ऐसे वीर की कहानी जानेंगे जिसने अपनी जवानी देश के नाम कर दी. एक ऐसा योद्धा जिसने जंगलों को अपना घर बनाया और अंग्रेजों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया. हम बात कर रहे हैं महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू की, जिनका आज जन्मदिन है. उन्हें प्यार से "मन्यम वीरुडु" यानी 'जंगल का हीरो' भी कहा जाता है.

कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू? (Who Was Alluri Sitarama Raju)

अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई, 1897 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था. बचपन से ही उनके दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा था. उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा पर निकल पड़े. इन यात्राओं ने उन्हें देश की गरीबी और अंग्रेजों के अत्याचार को करीब से देखने का मौका दिया. खासकर, आदिवासी इलाकों में अंग्रेजों का जुल्म देखकर उनका खून खौल उठा.

अंग्रेजों ने 1882 में एक 'वन कानून' (Madras Forest Act) बनाया था. यह कानून आदिवासियों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया. इस कानून के तहत, आदिवासियों को उनके ही जंगल में जाने, लकड़ी काटने या अपनी पारंपरिक 'पोडू' खेती (झूम खेती) करने से रोक दिया गया. जंगल ही जिनका घर था, जिनकी रोजी-रोटी थी, उन्हें ही बेदखल किया जा रहा था. यह देखकर सीताराम राजू ने फैसला किया कि वे इन बेसहारा आदिवासियों की आवाज बनेंगे और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ेंगे.

रम्पा विद्रोह: अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई

सीताराम राजू ने आदिवासियों को एकजुट करना शुरू किया. उन्होंने लोगों को समझाया कि अपने हकों के लिए लड़ना कितना जरूरी है. उन्होंने आदिवासियों को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी. गुरिल्ला युद्ध यानी छिपकर हमला करना, जिसे छापामार लड़ाई भी कहते हैं. पहाड़ों और जंगलों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ राजू और उनके साथी अंग्रेजी सेना पर अचानक हमला करते और फिर गायब हो जाते.

साल 1922 में, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया, जिसे 'रम्पा विद्रोह' के नाम से जाना जाता है. राजू और उनके आदिवासी साथियों ने कई पुलिस थानों पर धावा बोला, हथियार लूटे और कई अंग्रेज अफसरों को मार गिराया. उनके हमलों की तेजी और सटीकता से ब्रिटिश सरकार हिल गई थी.

दो साल तक यह विद्रोह चलता रहा. सीताराम राजू अंग्रेजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए थे. उन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन वे हर बार बच निकलते. राजू की बहादुरी के किस्से दूर-दूर तक फैल गए और वे लोगों के लिए एक हीरो बन गए.

एक दुखद अंत और अमर विरासत

आखिरकार, अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने के लिए एक बड़ी सेना भेजी. 7 मई, 1924 को अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया और बेरहमी से एक पेड़ से बांधकर गोली मार दी. उस समय वे केवल 27 साल के थे.

अल्लूरी सीताराम राजू भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान की कहानी हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी. उन्होंने सिखाया कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना कितना जरूरी है, चाहे दुश्मन कितना भी ताकतवर क्यों न हो. उनकी जयंती पर पूरा देश इस महान नायक को सलाम करता है. उनकी याद में भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट भी जारी किया है और आंध्र प्रदेश में उनकी कई मूर्तियां स्थापित की गई हैं.

 

अल्लूरी सीताराम राजू पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न 1: अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे? उत्तर: अल्लूरी सीताराम राजू भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने आंध्र प्रदेश के आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्हें "मन्यम वीरुडु" यानी 'जंगल का हीरो' भी कहा जाता है.

प्रश्न 2: अल्लूरी सीताराम राजू का जन्मदिन कब मनाया जाता है?

उत्तर: अल्लूरी सीताराम राजू का जन्मदिन हर साल 4 जुलाई को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 को हुआ था.

प्रश्न 3: रम्पा विद्रोह क्या था और इसका नेतृत्व किसने किया?

उत्तर: रम्पा विद्रोह (1922-1924) अंग्रेजों के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह था. यह विद्रोह आदिवासियों पर लगाए गए दमनकारी वन कानूनों के खिलाफ था. इसका नेतृत्व महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू ने किया था.

प्रश्न 4: अल्लूरी सीताराम राजू को 'जंगल का हीरो' क्यों कहा जाता है?

उत्तर: अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए जंगलों को अपना ठिकाना बनाया. उन्होंने आदिवासियों के साथ मिलकर गुरिल्ला युद्ध (छापामार लड़ाई) की रणनीति अपनाई, जिससे वे अंग्रेजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए. इसी बहादुरी के कारण लोग उन्हें 'मन्यम वीरुडु' या 'जंगल का हीरो' कहते हैं.

प्रश्न 5: अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों के खिलाफ क्यों लड़ाई लड़ी?

उत्तर: अंग्रेजों ने 1882 में 'मद्रास वन अधिनियम' जैसा कानून बनाया था, जिससे आदिवासियों को उनके ही जंगलों में जाने और अपनी पारंपरिक 'पोडू' (झूम) खेती करने पर रोक लगा दी गई थी. इसी अन्याय और अत्याचार के खिलाफ सीताराम राजू ने आदिवासियों के हकों के लिए लड़ाई लड़ी.

प्रश्न 6: अल्लूरी सीताराम राजू की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर: दो साल तक चले रम्पा विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने एक बड़ी सेना भेजकर 7 मई, 1924 को अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ लिया. इसके बाद उन्होंने राजू को एक पेड़ से बांधकर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. उस समय वे केवल 27 वर्ष के थे.