Air India Urination Case: दिल्ली पुलिस ने आरोपी के बेल अर्जी का किया विरोध, अदालत में कहा- इस हरकत से पूरी दुनिया में देश हुआ शर्मसार
शंकर मिश्रा (Photo Credit ANI & Twitter)

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को शंकर मिश्रा द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिन्हें हाल ही में शराब के नशे में पिछले साल नवंबर में एयर इंडिया की एक फ्लाइट में एक साथी यात्री पर पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले आज सभी पक्षों को सुना. न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि जबकि अभियुक्त ने कथित तौर पर जो किया वह घिनौना था, न्यायालय केवल कानून के अनुसार चलेगा. यह भी पढ़ें: Air India Urination Case: आरोपी शंकर मिश्रा की कोर्ट में सफाई, कहा- महिला ने अपनी सीट पर खुद ही पेशाब किया

न्यायाधीश ने कहा, "यह घिनौना हो सकता है. यह दूसरी बात है, लेकिन हमें इसमें नहीं पड़ना चाहिए. आप देखें कि कानून इससे कैसे निपटता है." आदेश मंगलवार 31 जनवरी को सुनाए जाने की संभावना है. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोमल गर्ग द्वारा 11 जनवरी को जमानत देने से इनकार करने के बाद मिश्रा वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें दिल्ली पुलिस ने 6 जनवरी को बेंगलुरू में एक 70 वर्षीय महिला पर नवंबर में नशे की हालत में पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

मीडिया के माध्यम से टाटा समूह की चेयरपर्सन को महिला द्वारा लिखे गए पत्र के सार्वजनिक होने के बाद यह घटना सामने आई. आज सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक (पीपी) ने यह कहते हुए जमानत देने का विरोध किया कि आरोपी शुरू में फरार हो गया था और उसने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए थे. पीपी ने कहा, "उसने अपने सभी मोबाइल फोन बंद कर दिए थे. हमने हाई आईएमईआई नंबर का पता लगाया. "उन्होंने कहा कि इस घटना ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार किया है.

पीपी ने कहा, "इंडिया की इंटरनेशनल बेइज्जती हो गई है सर." मिश्रा के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और चालक दल के सदस्यों और अन्य गवाहों से भी पूछताछ की गई है. यह प्रस्तुत किया गया था, "शुरुआत में मेरी जमानत भी अस्वीकार कर दी गई थी क्योंकि जांच लंबित थी. अब यह हो गया है और उन्होंने चालक दल के अन्य सदस्यों और गवाहों की जांच की है."

वेल्स फ़ार्गो में काम करने वाले मिश्रा को भी कंपनी ने यह कहकर निकाल दिया कि 'उनके खिलाफ लगाए गए आरोप "बेहद परेशान करने वाले हैं'. मिश्रा के वकीलों द्वारा हाल ही में एक बयान दिया गया था जिसमें कहा गया था कि उन्होंने 28 नवंबर को महिला को एक सहमत मुआवजे की राशि का भुगतान किया था, लेकिन लगभग एक महीने बाद, 19 दिसंबर को महिला की बेटी द्वारा उन्हें पैसे वापस कर दिए गए.

अदालत ने 8 जनवरी को मिश्रा को पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया था, लेकिन उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. अदालत ने तब कहा था कि केवल जनता के दबाव के कारण मामले की जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए और मिश्रा की पुलिस हिरासत की आवश्यकता नहीं होगी.