
बिहार (Bihar) के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने शुक्रवार सुबह मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 20-22 दिनों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण 57 बच्चों की मौत हो गई है. मंगल पांडेय ने बताया कि 57 में से 47 बच्चों ने एसकेएमसीएच और 10 बच्चों ने प्राइवेट केजरीवाल अस्पताल (Kejriwal Hospital) में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि हम इन सब पर नजर रख रहे हैं. बिहार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर एक बैठक की और लोगों को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के बारे में जागरूक करने का निर्णय लिया है.
मंगल पांडेय ने कहा कि एक प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर, चार असिस्टेंट प्रोफेसर, नौ सीनियर रेजिडेंट और 15 जूनियर रेजिडेंट की एक टीम इस मामले को देख रही है और बच्चों की देखभाल कर रही है. उन्होंने कहा कि हम दोनों अस्पतालों में इलाज के लिए अधिक बेड उपलब्ध करा रहे हैं. उधर, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले बढ़ने की खबरों के बीच केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने में बिहार को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया. यह भी पढ़ें- Acute Encephalitis Syndrome: बिहार में 'चमकी बुखार' का कहर, मुजफ्फरपुर में पिछले 10 दिनों में हुई 31 बच्चों की मौत
Bihar Health Minister, Mangal Pandey in Muzaffarpur: In the last 20-22 days, 57 children have died due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) pic.twitter.com/tes0Uxl1mr
— ANI (@ANI) June 14, 2019
Bihar Health Minister Mangal Pandey visited Sri Krishna Medical College and Hospital (SKMCH) in Muzaffarpur, early morning today. Death toll due to acute encephalitis syndrome (AES) is 54 (46 at Sri Krishna Medical College and Hospital and 8 at Kejriwal Hospital). pic.twitter.com/lG5Wyv2HKh
— ANI (@ANI) June 14, 2019
इस बीच, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने गुरुवार देर शाम बताया कि जनवरी से अब तक कुल 203 बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया और अन्य अज्ञात बीमारी की चपेट में आए हैं. शैलेश ने बताया कि बीमार बच्चों में से अधिकांश हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में चीनी की कमी) से ग्रसित हैं. वहीं, मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज के अधीक्षक डॉ. सुनिल शाही ने बताया कि हालात का जायजा लेने बुधवार को दिल्ली से आई केंद्रीय टीम गुरुवार पटना लौट गई और यह टीम अपनी रिपोर्ट सौपेंगी.
बता दें कि 15 साल तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है.