नई दिल्ली: कोरोना संकट (Corona Crisis) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच प्रवासी मजदूर को उनके घर पहुंचाने के लिए रेल मंत्रालय (Railway Ministry) श्रमिक स्पेशल ट्रेनें (Shramik Special Trains) चला रहा है, लेकिन इन ट्रेनों में भी प्रवासियों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं. आंकड़ों के मुताबिक श्रमिक स्पेशल में अब तक 80 लोगों की मौत हो चुकी है. ये मौतें 9 मई से 27 मई के बीच हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 26 मई को 13 मौतें, 23 मई को 10 मौतें, 24 मई को 9 मौतें, 25 मई को 9 मौतें और 27 मई को 8 मौतें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में दर्ज हुई हैं. इनमें से 11 मौतों को लेकर रेलवे की ओर से कारण बताए गए हैं, जोकि पुरानी बीमारी या फिर अचानक बीमार पड़ने का हवाला दिया गया है. इसमें एक उस शख्स की मौत हुई है, जिसको कोरोना पॉजिटिव बताया गया था.
बुधवार को खबर आई थी कि पिछले कुछ दिनों में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 9 लोगों की मौत हो गई है, लेकिन रेल मंत्रालय ने तुरंत स्पष्ट किया कि मरने वालों में से अधिकांश पुरानी किसी बीमारी के मरीज थे, जिनमें से कई वास्तव में इलाज के लिए शहरों में थे. वे इन विशेष ट्रेनों के शुरू होने के बाद ही वापस आ सकते थे. ये जानकारी कुछ रिपोर्ट्स के जवाब में दी गई थी जिनमें जिसमें दावा किया गया था कि यात्रियों की मृत्यु थकावट, गर्मी और भूख से हुई थी. यह भी पढ़ें- भारतीय रेलवे की अपील- गर्भवती महिलाएं, 10 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक के बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति रेल यात्रा से बचें.
आरपीएफ द्वारा श्रमिक विशेष ट्रेनों में दर्ज 80 मौतों में से 18 उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र में, 19 उत्तर मध्य क्षेत्र में और 13 पूर्वी तट रेलवे क्षेत्र में दर्ज की गईं. रेल मंत्रालय ने कहा कि मरने वालों में से अधिकांश "पुरानी बीमारी के मरीज" थे. रेलवे बोर्ड के चेयरमेन विनोद कुमार यादव ने साफ किया कि ट्रेनों में भूख से हुई मौत की खबर गलत है, जो भी मौत हुई है उसकी जांच की जा रही है. लेकिन उन्होंने बताया कि ट्रेनों में पर्याप्त खाना और पानी दिया जा रहा है. यह भी पढ़ें- झांसी: 'श्रमिक स्पेशल' के टॉयलेट में मिला प्रवासी श्रमिक का शव, 23 मई को गोरखपुर जाने वाली ट्रेन में की थी यात्रा.
शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा, "किसी की भी मौत बहुत बड़ी क्षति है. भारतीय रेलवे की एक नियंत्रण प्रणाली है. अगर कोई बीमार पाया जाता है तो ट्रेन को तुरंत रोका जाता है और उन्हें निकटतम अस्पताल में भेजा जाता है. उनका जीवन बचाने की पूरी कोशिश की जाती है.
शुक्रवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा-मेरी सभी नागरिकों से अपील है कि गंभीर रोग से ग्रस्त, गर्भवती महिलाएं और 65 से अधिक-10 साल से कम उम्र के व्यक्ति श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में बहुत जरूरी होने पर ही यात्रा करें. रेल परिवार यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. भारतीय रेलवे ने यह भी साफ किया है कि कोई भी ट्रेन अपने मार्ग से नहीं भटकी है. रेलवे बोर्ड के चेयरमेन विनोद कुमार यादव ने इस बात का खंडन किया है कि ट्रेनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 9 दिनों तक समय लगा है.