नई दिल्ली, 25 अगस्त : आज से ठीक 21 साल पहले (25 अगस्त 2003) एक ऐसी तारीख आई, जिसने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के साथ पूरे भारत को हिलाकर रख दिया. दो कार बम धमाकों ने मुंबई को दहला दिया था. दोहरे कार बम धमाकों में 50 से ज्यादा बेगुनाहों को जान गंवानी पड़ी थी, जबकि 200 से ज्यादा जख्मी हुए थे. मुंबई बम धमाकों के उस भयावह मंजर के बारे में सोचकर आज भी पीड़ित और उनके परिजनों के आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं.
25 अगस्त 2003 को पहला धमाका भीड़भाड़ भरे जावेरी बाजार के बाहर हुआ, जबकि दूसरा धमाका ताज महल होटल के बाहर गेटवे ऑफ इंडिया के पास. दोनों धमाके टैक्सी में हुए थे. जावेरी बाजार में कार बम धमाके में 25 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. धमाका इतना जोरदार था कि करीब 200 की दूरी पर एक ज्वेलरी शोरूम के शीशे तक चकनाचूर हो गए थे. यह भी पढ़ें : UPS की मंजूरी पर भाजपा नेताओं ने कहा, सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध
पहले धमाके की सूचना मिलने के बाद पुलिस और इमरजेंसी सेवा पहुंची, तब तक दूसरे कार बम धमाके की खबर मिली जिसने सबको हिलाकर रख दिया था. गेटवे ऑफ इंडिया के पास भी टैक्सी के जरिए धमाका हुआ था, जिसमें 25 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ गई थी. 200 से ज्यादा इसमें बुरे तरह जख्मी हो गए थे.
दोनों बम धमाके करने का तरीका एक ही था. दोनों जगहों पर टैक्सी में लगाए गए बम एक निश्चित समय में ही ब्लास्ट हुए थे. इन बम धमाकों में एक टैक्सी ड्राइवर की मौत हो गई थी, जबकि गेटवे ऑफ इंडिया के पास हुए बम धमाके के टैक्सी ड्राइवर को बचा लिया गया था. इस टैक्सी ड्राइवर की मदद से पुलिस को बम धमाकों की जांच में सफलता भी मिली. टैक्सी ड्राइवर की मदद से पुलिस ने संदिग्धों की पहचान की.
मुंबई पुलिस ने मामले में तीन मुख्य आरोपी अशरफ अंसारी, हनीफ सैयद और उसकी पत्नी फहमीदा सैयद को धर दबोचा. पुलिस जांच में पता चला कि 25 अगस्त 2003 को मुंबई को दहलाने के लिए हनीफ ने अपनी पत्नी और दो नाबालिग बेटियों के संग एक टैक्सी किराए पर ली. जिसके बाद टैक्सी को गेटवे ऑफ इंडिया लेकर पहुंचा. वह अपने साथ विस्फोटक से भरा बैग भी लेकर पहुंचा था, परिवार टैक्सी ड्राइवर से यह कह कर बैग छोड़ गया कि वे सभी खाना खाने के बाद लौटेंगे.
अशरफ, हनीफ और फहमीदा ने दो अलग-अलग टैक्सियों में बम रखे. धमाकों में एक टैक्सी ड्राइवर की मौत हो गई. जबकि दूसरे को बचा लिया गया. तहकीकात हुई तो पता चला कि इन तीनों का कनेक्शन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर से था. 27 जुलाई को कोर्ट ने तीनों को कार बम धमाकों का दोषी करार दिया. 06 अगस्त 2009 को मुंबई की पोटा कोर्ट ने आरोपी अशरफ, हनीफ और उसकी पत्नी फहमीदा को फांसी की सजा सुनाई थी.