Zubeen Garg Roi Roi Binale Movie: जुबीन गर्ग की आखिरी फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’ हुई रिलीज, भारी संख्या में थिएटर्स में उमड़ी फैन्स की भीड़
दिवंगत सिंगर जुबीन गर्ग (Photo Credits: Instagram)

Zubeen Garg Roi Roi Binale Movie: असम (Assam) के पॉपुलर सिंगर और एक्टर जुबीन गर्ग (Zubeen Garg) के आकस्मिक निधन के बाद उनकी अंतिम फिल्म ‘रोई रोई बिनाले’ (Roi Roi Binale) आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है, जिसे देखने के लिए उनके फैंस भारी संख्या में थिएटर्स में उमड़ पड़े हैं. 'रोई रोई बिनाले' का मोटा-मोटा मतलब है, रुक-रुक कर बहुत ज्यादा रोना. जुबीन गर्ग इसमें एक अंधे सिंगर का रोल निभा रहे हैं, जिसे समुद्र बहुत पसंद है. पोस्टर में वह समुद्र का पानी छूने के लिए झुके हुए दिख रहे हैं.

जुबीन, जिन्होंने 90 के दशक से असम की म्यूजिक इंडस्ट्री को आकार दिया और बाद में अकेले ही वहां के सिनेमा को फिर से जिंदा किया, 19 सितंबर को सिंगापुर में एक समुद्री सैर के दौरान उनकी मौत हो गई. वह 52 साल के थे. कई इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्होंने ‘रोई रोई बिनाले’ में अपना दिल और जान लगा दी थी. जुबीन गर्ग ने अपनी मौत से कुछ दिन पहले लेखक रीता चौधरी को दिए अपने आखिरी इंटरव्यू में कहा था, ‘यह कहानी 19 साल से मेरे साथ है.’ वह पिछले 3 सालों से इस पर एक्टिवली काम कर रहे थे. यह भी पढ़ें: Zubeen Garg की मौत कैसे हुई? सिंगापुर पुलिस ने भारत को सौंपी पोस्टमार्टम रिपोर्ट

रोई रोई बिनाले की रिलीज से पहले असम में कुछ चमत्कार देखने को मिला, क्योंकि लगभग 80 सिनेमाघरों ने 'रोई रोई बिनाले' के लिए एक हफ्ते के लिए बाकी सभी स्क्रीनिंग कैंसिल कर दी हैं. यह उस राज्य में हो रहा है जहां अच्छी चलने वाली असमिया फिल्मों को भी स्क्रीन स्पेस के लिए जूझना पड़ता है. फैन्स का क्रेज ऐसा है कि असम में पहली बार कोई फिल्म सुबह 4.35 बजे दिखाई जाएगी.

असम में सालों से बंद पड़े दो फिल्म थिएटर 'रोई रोई बिनाले' के लिए फिर से खुल रहे हैं. जी हां, मोरीगांव जिले के जागीरोड शहर में गणेश थिएटर में पुरानी, ​​लाल प्लास्टिक की कुर्सियों की सफाई करते हुए वीडियो वायरल हो गए हैं. यह सिनेमा हॉल 7 साल से बंद था. हैरानी की बात यह है कि ज़ुबीन गर्ग का एक क्लिप भी सामने आया है जिसमें वह कह रहे हैं कि वह गणेश टॉकीज को फिर से खोलेंगे. नलबाड़ी जिले के तिहू शहर में, गांधी भवन सिनेमा हॉल, जो 1944 में बना था और खराब हालत में था, शुक्रवार को 'रोई रोई बिनाले' के साथ फिर से खुल गया.

यह साफ है कि इस फिल्म ने असम में सिनेमा बिजनेस के सारे नियम बदल दिए हैं. 25 अक्टूबर को ऑनलाइन बुकिंग शुरू होते ही राज्य में टिकट तुरंत बिक गए. दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में जहां अच्छी-खासी असमिया आबादी है, कई थिएटरों में पहले दिन के शो हाउसफुल हो गए. इसने रिलीज से पहले ही 50 लाख रुपये का बिजनेस कर लिया, जो नॉर्थ-ईस्ट की किसी भी फिल्म के लिए पहले कभी नहीं हुआ.

रोई रोई बिनाले सिर्फ एक ऐसी फिल्म नहीं है जो हिट होने वाली थी. यह एक वादा निभाने की कहानी है. पर्सनल दुख के बावजूद, जुबीन की पत्नी और को-प्रोड्यूसर, गरिमा सैकिया गर्ग, और फिल्म की पूरी टीम ने इसे 31 अक्टूबर को रिलीज करने का पक्का इरादा किया. जैसा कि जुबीन चाहते थे और उन्होंने वादा किया था.

बता दें कि 1992 में अपने पहले एल्बम अनामिका और सुपरहिट माया के साथ, जुबीन एक बैलेड सिंगर के तौर पर उभरे. उन्होंने एक ऐसे राज्य के लोगों को उम्मीद दी, जिसने दशकों तक विद्रोह और आर्मी ऑपरेशन देखे थे. वह एक रॉकस्टार बन गए और उनके लोगों ने उनके आस-पास एक कल्ट बना लिया- जुबीनवाद. कोई स्टार नखरे नहीं, हमेशा मदद करने और किसी मकसद के लिए खड़े रहने को तैयार, बड़े और ताकतवर लोगों का सामना करने वाले. यह भी पढ़ें: Zubeen Garg Death Case: जुबीन गर्ग की मौत के मामले में सिंगापुर पुलिस से मुलाकात करेगी असम एसआईटी, इकट्ठा करेगी सबूत

'या अली' जैसे हिट गाने देने के बाद, वह अपने बॉलीवुड म्यूजिक करियर के पीक पर असम लौट आए और असमिया फिल्मों पर करोड़ों रुपये लगाए. उन्हें 'बोलिया' (पागल आदमी) कहा गया, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि जो सोचा भी नहीं जा सकता, उसे करने के लिए बस पागलपन ही काफी है. उन्होंने 27 असमिया फिल्मों में प्रोडक्शन और एक्टिंग की और मिशन चाइना और कंचनजंघा जैसी हिट फिल्में दीं, और लोगों को वापस थिएटर तक खींचा. रोई रोई बिनाले इस सीरीज का एक शानदार फिनाले है.

ज़ुबीनवाद की ताकत के सबूत के तौर पर, असम सरकार ने घोषणा की है कि वह रोई रोई बिनाले से जमा हुए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में राज्य का हिस्सा कलागुरु आर्टिस्ट फाउंडेशन को दान करेगी। यह एक चैरिटेबल संस्था है जिसे जुबीन गर्ग ने ज़रूरतमंद छात्रों और कलाकारों और बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए बनाया है.