नई दिल्ली, 7 अप्रैल: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से निर्माताओं, प्रसारकों और विकलांगता अधिकार संगठनों जैसे हितधारकों के साथ सहयोग करने को कहा, ताकि एक रिपोर्ट तैयार की जा सके कि दृष्टि या श्रवण हानि वाले व्यक्तियों के लिए फिल्मों को कैसे सुलभ बनाया जाए.
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह एक कानून के छात्र, वकील और विकलांग अधिकार कार्यकर्ता सहित विकलांग लोगों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें वाईआरएफ, ओटीटी प्लेटफार्मो और सरकार को विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार व्यवस्था करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. Priyanka Chopra बेटी Maltie Marie के साथ पहुंची सिद्धिविनायक मंदिर, आगामी सीरीज Citadel के लिए मांगा बप्पा का आशीर्वाद (Watch Video)
न्यायमूर्ति सिंह ने जोर देकर कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकलांग व्यक्तियों को सामग्री उपलब्ध कराने की व्यवस्था तुरंत और सार्वभौमिक रूप से लागू की जानी चाहिए. अदालत ने कहा, अदालत की राय है कि हालांकि 'पठान' के निर्देशों को लागू किया गया है, लेकिन कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक हितधारक परामर्श की जरूरत होगी.
अदालत ने कहा कि 'पठान' के लिए निर्देशों को लागू कर दिया गया है, लेकिन सभी संबंधित पक्षों के साथ एक व्यापक परामर्श आवश्यक होगा, ताकि ढांचे के रूप और पदार्थ दोनों में कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके.
अदालत ने आदेश दिया, अगस्त के अंत तक हितधारकों के परामर्श को पूरा किया जाना चाहिए और मंत्रालय (सूचना और प्रौद्योगिकी) द्वारा एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए.
अदालत ने कहा कि मंत्रालय को इस मामले पर निर्देश विकसित करने और उन्हें अदालत में पेश करने की स्वतंत्रता है.
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि परामर्श के लिए हितधारकों में फिल्म निर्माता, ओटीटी प्लेटफॉर्म, टीवी ब्रॉडकास्टर, विकलांग व्यक्तियों के संगठन, एनबीडीए और कोई भी अन्य शामिल होगा, जिसे मंत्रालय उपयुक्त मानता है.
अदालत ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि परामर्श प्रक्रिया के दौरान बधिरता वाले किसी भी उपस्थित व्यक्ति को लाभान्वित करने के लिए सांकेतिक भाषा दुभाषिया प्रदान करने पर विचार करें. यह फिल्म 25 अप्रैल को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने के लिए तैयार है.