फ़िल्मी परदे पर अपने अभिनय से किरदार में जान भर देने वाले संजय दत्त (Sanjay Dutt) की रियल लाइफ भी कम फ़िल्मी नहीं रही है. यही वजह थी मशहूर डायरेक्टर राजकुमार हिरानी मुन्ना भाई के तीसरे पार्ट का काम बीच में ही छोड़कर संजू बाबा की निजी जिंदगी पर फिल्म बना डाली. जिसमें रणबीर कपूर ने मुख्य किरदार निभाया था. इस फिल्म को देखने के बाद जाहिर है किसी को ये बताने की जरूरत नहीं है इस एक्टर की रियल भी किसी फिल्म से कम नहीं रही है. 29 जुलाई को संजय दत्त अपना 61वां जन्मदिन मना रहें हैं.
अपने 4 दशक के फिल्मी सफर में संजय दत्त 100 से अधिक फिल्मों में काम किया. कभी रॉकी बनकर युवा दिलों को धड़काया तो कभी खलनायक बनकर नायक पर भारी पड़े. तो वास्तव में रघु भाई बनकर दर्शकों को असली भाईगिरी का मतलब समझाया. लेकिन मुन्नाभाई में नकली डॉक्टर बनकर संजय बाबू ने लोगों को जो प्यार की झपकी का पाठ पढ़ाया उसे शायद ही कोई भूल पाए. संजय दत्त के इस खास जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनकी फिल्मों के 10 बेहतरीन डायलॉग्स जो आज भी लोगों की जुबान पर सुनने को मिल जाते हैं
शराफत की किताब में मुझे खलनायक कहते हैं. (फिल्म - खलनायक)
असली है,असली! पचास तोला, पचास तोला। कितना? पचास तोला”! (फिल्म- वास्तव)
उड़ा दो साले के भेजे को. मैं भी देखना चाहता हूं कि इसमें घास भरा है या भूसा. (फिल्म- कांटे)
ए मामू जादू की झप्पी दे डाल और बात खत्म (फिल्म- मुन्नाभाई MBBS)
बॉडी में 206 टाइप का सिर्फ हड्डी है, तोड़ने के टाइम अपुन लोग सोचते थे क्या? (फिल्म- मुन्नाभाई MBBS)
जिंदगी में लक भी सिर्फ उसका साथ देता हा जिसमें जीतने का जस्बा हो (फिल्म- लक)
तुम क्या लेकर आए थे...और क्या लेकर जाओगे? (फिल्म- अग्निपथ)
जब दोनों गाल पर थप्पड़ पड़ जाए तो क्या करने का, ये बापू ने कहां अपने को (फिल्म- लगे रहो मुन्ना भाई)
वो बाहर कोई कैसुएल्टी में मरने की हालत में रहा तो उसको फॉर्म भरना ज़रूरी है क्या (फिल्म - मुन्ना भाई एमबीबीएस)
गलत तरीके से सही काम करना मुझे आता है (फिल्म- पोलिसगिरी)