मुंबई: दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और प्रजीता डेवलपर्स (Prajita Developers) के बीच चले आ रहे प्रॉपर्टी केस में अब एक नया मोड़ आ गया है. इस मामले में 95 वर्षीय दिलीप कुमार को राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल (arbitration tribunal) के एक आदेश को अलग रख दिया है. दरअसल, आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने दिलीप कुमार को आदेश दिया था कि फैसला आने तक उन्हें 25 करोड़ की अपनी इस प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखना होगा.
मुंबई मिरर में छपी खबर के अनुसार, जस्टिस बीपी कोलाबावाला (Justice BP Colabawalla) ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पाया कि ट्रिब्यूनल के आदेश का यही मतलब होगा कि प्रजीता डेवलपर्स के क्लेम को 'सिक्योर क्लेम' के रूप में निश्चित करना जबकि ये क्लेम महज प्रॉपर्टी विवाद के दौरान हुए डैमेज को लेकर था.
आपको बता दें कि 2006 में पाली हिल स्थित दिलीप कुमार के बंगले के पुनर्निर्माण के काम को लेकर उनके और प्रजीता डेवलपर्स के बीच डील हुई थी.
लेकिन समय से न होने के पाने के चलते दिलीप नाराज थे और उन्होंने डेवलपर्स (दो पार्टनर) को फोन करना शुरू कर दिया. बताया जा रहा है कि 2015 में प्रजीता डेवलपर्स ने पंचाट खंड का आह्वान किया जिसके कारण ये केस सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिलीप कुमार से 20 करोड़ रूपए जमा करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि प्रॉपर्टी की पोजेशन देने के बाद ही प्रजीता डेवलपर्स इन पैसों की निकासी कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में प्रजीता डेवलपर्स को आदेश दिया कि वो अपने डैमेजेस आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल से क्लेम कर सकती है. अब केस के इस हिस्से की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने दिलीप कुमार को आदेश दिया था जिसे अब अलग रख दिया गया है.