कंगना रनौत की आगामी फिल्म "इमरजेंसी" को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया है. फिल्म के निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड से फिल्म को सर्टिफिकेट जारी करने के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह इस विवाद में सेंसर बोर्ड को कोई आदेश नहीं दे सकता, क्योंकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले ही इस मामले में एक आदेश पारित किया है. इसके चलते, फिल्म "इमरजेंसी" की रिलीज़ अब सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिलने तक स्थगित कर दी गई है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह 18 सितंबर तक फिल्म को सर्टिफिकेट जारी करने के संबंध में निर्णय ले.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 सितंबर को सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह फिल्म के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों पर विचार करे. यह आपत्तियां दो सिख संगठनों, जबलपुर सिख संगत और गुरु सिंह सभा, इंदौर द्वारा उठाई गई थीं, जिन्होंने दावा किया था कि "इमरजेंसी" फिल्म सिख समुदाय की छवि को धूमिल करने के इरादे से बनाई गई है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले ही सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया था और फिल्म की रिलीज़ के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर उसका जवाब मांगा था. इस पर सेंसर बोर्ड ने कहा कि उसने अभी तक फिल्म को थिएटर में रिलीज़ के लिए मंजूरी नहीं दी है.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब जबलपुर सिख संगत और गुरु सिंह सभा, इंदौर ने फिल्म के ट्रेलर में "खालिस्तान" शब्द के प्रयोग और सिख समुदाय के चित्रण पर आपत्ति जताई. उनका कहना था कि इस तरह का चित्रण युवा सिख बच्चों, जो पगड़ी पहनते हैं, को "खालिस्तानी" कहे जाने के खतरे में डाल सकता है. उन्होंने कंगना रनौत से बिना शर्त माफी की भी मांग की है.
इस विवाद के चलते, फिल्म "इमरजेंसी" की रिलीज़ को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, और अब यह देखना बाकी है कि सेंसर बोर्ड क्या निर्णय लेता है.