TCS का बड़ा फैसला: सीनियर लेवल की भर्तियों पर ब्रेक, सालाना इंक्रीमेंट स्थगित!
Tata Consultancy Services Layoff

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने यह फैसला लिया है, कि अब वह फिलहाल अनुभवी कर्मचारियों की नई भर्ती नहीं करेगी और दुनियाभर में सालाना वेतन बढ़ाने की प्रक्रिया को भी रोक दिया गया है. यह जानकारी एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई है. कंपनी को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा है, क्योंकि मौजूदा समय में उसके पास काम की मांग पहले से कम हो गई है, और उसका काम करने का तरीका भी बदल रहा है. भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी (IT Company) होने के बावजूद टीसीएस को मौजूदा हालात के चलते ये सख्त निर्णय लेने पड़े हैं.

अब तक की सबसे बड़ी छंटनी में से एक

टीसीएस ने हाल ही में यह भी ऐलान किया था कि वह करीब 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से हटाएगी, जो उसकी कुल वर्कफोर्स का लगभग 2% हिस्सा है. कंपनी में इस वक्त लगभग 6 लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं. यह आईटी सेक्टर की हाल की सबसे बड़ी छंटनियों में से एक मानी जा रही है.

नौकरी के लिए इंतज़ार बढ़ा, कई शहरों में स्टाफ हटाया गया

रिपोर्ट के अनुसार, टीसीएस में अनुभवी कर्मचारियों की जॉइनिंग में अब 65 दिन से ज्यादा का वक्त लग रहा है. यानी जिन लोगों को पहले नौकरी पर रखा गया था, उनकी नियुक्ति में काफी देरी हो रही है. इसके साथ ही कंपनी ने हैदराबाद, पुणे, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में उन कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया है जो ‘बेंच’ (Bench) पर थे — यानी जिनके पास कोई प्रोजेक्ट नहीं था. अब कंपनी ने ऐसा नियम बना दिया है, कि अगर किसी कर्मचारी को 35 दिनों के अंदर किसी नए प्रोजेक्ट में नहीं लगाया गया, तो उसे कंपनी से बाहर कर दिया जाएगा.

इंडस्ट्री में बढ़ रही चिंता

टीसीएस के इस फैसले के बाद अब आईटी इंडस्ट्री के बाकी दिग्गज भी सतर्क हो गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है, कि फिलहाल डिमांड कमजोर है, और कंपनियों पर यह दबाव बढ़ गया है, कि वह कम लागत में ज्यादा प्रोडक्टिविटी दिखाएं. ऐसे में माना जा रहा है, कि दूसरी आईटी कंपनियों पर भी इसी तरह का दबाव बन सकता है.

यूनियन ने दर्ज कराई शिकायत

सूत्रों के अनुसार, एक कर्मचारी यूनियन ने टीसीएस के खिलाफ श्रम मंत्रालय (Ministry Of Labor) में तीसरी बार शिकायत दर्ज कराई है. यूनियन का कहना है, कि कंपनी में अवैध तरीके से कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, अनुभवी लोगों की जॉइनिंग में बार-बार देरी हो रही है, और 'बेंच नीति' को लेकर भी कर्मचारियों में भारी नाराजगी है.

सीईओ ने क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक, टीसीएस के सीईओ (CEO) के. कृतिवासन (K. Krithivasan) ने एक इंटरव्यू में कहा है, कि कंपनी में जो बदलाव किए जा रहे हैं, वो उसके ऑपरेटिंग मॉडल (Operating Model) यानी काम करने के तरीके में बदलाव का हिस्सा हैं. उन्होंने यह भी साफ किया कि इन फैसलों का सीधा संबंध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से नहीं है. उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए नहीं लिया गया कि एआई (AI) से 20% ज्यादा उत्पादकता मिल रही है, बल्कि इसलिए लिया गया है, क्योंकि कई जगह स्किल की कमी है, या फिर कंपनी कुछ कर्मचारियों को किसी प्रोजेक्ट में तैनात नहीं कर पा रही है.

एआई में दी गई है ट्रेनिंग, फिर भी नहीं सभी को मिल पाया काम

टीसीएस ने अब तक 5.5 लाख कर्मचारियों को बेसिक एआई (Basic AI) और 1 लाख को एडवांस एआई (Advanced AI) की ट्रेनिंग दी है. इसके बावजूद कुछ सीनियर लेवल के कर्मचारियों को नए काम में तैनात नहीं किया जा सका, जिससे मजबूरी में कंपनी को छंटनी का फैसला लेना पड़ा है.

मुनाफा नहीं है कारण

कंपनी ने छंटनी से होने वाले आर्थिक असर के बारे में फिलहाल कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है. हालांकि, टीसीएस के सीईओ के. कृतिवासन का कहना है, कि यह फैसला मुनाफा बढ़ाने के इरादे से नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक हमने इससे जुड़ी लागत या असर का हिसाब नहीं लगाया है, लेकिन जब सही समय आएगा, तो हमारे सीएफओ (CFO) समीर सेक्सारिया (Sameer Seksaria) खुद बताएंगे कि इसका कंपनी पर क्या असर पड़ा है. फिलहाल हमारा मकसद लाभ कमाना नहीं है, इसलिए इस पहलू पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.

टीसीएस के इस फैसले से आईटी इंडस्ट्री में हलचल है. एक तरफ एआई की वजह से काम के तरीके तेजी से बदल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना भी बढ़ रही है. ऐसे में आने वाले समय में दूसरी बड़ी कंपनियों के कदमों पर भी सबकी नजर रहेगी.