यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में राजनीतिक उठापटक देखी जा रही है। इसी साल बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर छात्रों के विद्रोह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस संघर्ष में सैकड़ों लोग मारे गए थे।
लंदन में स्व-निर्वासन के दौरान रहमान ने जिया की ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया और उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर वह बांग्लादेश के अगले नेता बन सकते हैं।
रहमान और 48 अन्य को शेख हसीना के समर्थकों द्वारा आयोजित एक रैली पर ग्रेनेड से हमला करने के मामले में 2018 में दोषी ठहराया गया था। इस हमले में 24 लोगों की जान चली गई थी और लगभग 300 लोग घायल हो गए थे। उस समय हसीना विपक्ष में थीं।
अदालत ने अपने फैसले में 19 दोषियों को मृत्यु दंड और रहमान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
प्रतिवादियों द्वारा अपील दायर किए जाने के बाद न्यायाधीशों की दो सदस्यीय समिति ने सभी 49 लोगों को दोषी ठहराए जाने के 2018 के पूरे फैसले को रविवार को रद्द कर दिया। बचाव पक्ष के वकील शिशिर मोनिर ने संवाददाताओं से कहा कि अदालत ने मुकदमे और फैसले को ‘‘अवैध’’ करार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप अब सभी प्रतिवादियों को बरी कर दिया गया है।’’
जिया 2001-2006 के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही थीं। जिया और हसीना देश की सबसे ताकतवर नेता मानी जाती हैं और लंबे समय से देश की प्रतिद्वंद्वी नेता रही हैं।
हसीना की अवामी लीग पार्टी ने रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट कर अदालत के फैसले की आलोचना की और कहा कि बांग्लादेश के लोग ही इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाएंगे।
जिया की पार्टी ने रविवार के फैसले का स्वागत किया।
अटॉर्नी जनरल का कार्यालय इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।
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