लखनऊ, 28 नवंबर: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र और रामपुर एवं खतौली विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनावों के बीच राज्य सरकार ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा ‘जेड श्रेणी’ से घटाकर ‘वाई श्रेणी’ की कर दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यादव की सुरक्षा का स्तर घटाये जाने की सोमवार को पुष्टि की. पुलिस अधीक्षक (प्रशिक्षण एवं सुरक्षा) वैभव कृष्ण का सोमवार को एक आधिकारिक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने पुलिस आयुक्त, लखनऊ और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) इटावा को पत्र लिखकर प्रसपा प्रमुख एवं जसवंत नगर के विधायक शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा ‘जेड’ श्रेणी के स्थान पर ‘वाई’ श्रेणी किये जाने की जानकारी दी है.
रविवार को लिखे गये पत्र में उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को आयोजित राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया है. वर्ष 2018 में शिवपाल सिंह यादव को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी थी. पुलिस के अनुसार ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा में कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिनमें दो पीएसओ (निजी सुरक्षा गार्ड) भी होते हैं, जबकि ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा में राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) के चार से पांच कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षाकर्मी तैनात किये जाते हैं.
शिवपाल यादव की सुरक्षा हटाये जाने को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपत्तिजनक बताया हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘माननीय शिवपाल सिंह यादव जी की सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है। साथ ही ये भी कहना है कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में समाजवादी पार्टी ने प्रसपा प्रमुख शिवपाल को मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में अपना स्टार प्रचारक बनाया है। मैनपुरी में पांच दिसंबर को होने वाले चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य से है. राज्य सरकार का शिवपाल की सुरक्षा में कटौती का फैसला शिवपाल और अखिलेश के बीच मतभेद समाप्त करने और एक बार फिर हाथ मिलाने के बाद सामने आया है.
पिछले महीने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा के गढ़ मैनपुरी में उपचुनाव जरूरी हो गया था.चाचा-भतीजा (शिवपाल और अखिलेश) जिनके बीच 2016 में आपसी विवाद के बाद लंबे समय से अच्छे संबंध नहीं थे, एक बार फिर से एक साथ आए हैं और डिंपल की जीत को मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि बताते हुए सीट बरकरार रखने की कोशिश में लगे हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एक रणनीतिक कदम के तहत भाजपा ने डिंपल यादव के खिलाफ शिवपाल यादव के करीबी माने जाने वाले रघुराज सिंह शाक्य को कथित तौर पर परिवार में दरार का फायदा उठाने की उम्मीद में मैदान में उतारा, लेकिन यादव परिवार की एकजुटता के चलते यह समीकरण कारगर होते नहीं दिखा. शिवपाल का समर्थन इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि उनका जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है और वे वहां के लोकप्रिय नेता हैं.
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