दक्षिण अफ्रीका में आग वाले स्थान से कर्मचारी रवाना, अब शवों की शिनाख्त चुनौती
Gujarat Massive Fire

दक्षिण अफ्रीका, 01 सितंबर: जोहानिसबर्ग के मध्य में स्थित इस बहुमंजिला इमारत में बृहस्पतिवार को आग लगी थी और इस हादसे में 74 लोगों की मौत हुई है, जोहानिसबर्ग आपात सेवा के प्रवक्ता नाना राडेबे ने कहा कि आपात सेवा के कर्मचारियों ने इमारत की सभी पांच मंजिलों की तीन बार तलाशी ली और माना जा रहा है कि सभी शवों और शवों के हिस्सों को मौके से हटा दिया गया है. राडेबे ने कहा कि इमारत (जो अब एक जली हुई इमारत है) को पुलिस और फॉरेंसिक जांचकर्ताओं को सौंप दिया गया है जो जांच करेंगे. राडेबे ने कहा कि शुक्रवार की सुबह तक मृतकों की कुल संख्या 74 में कोई इजाफा नहीं हुआ था.

गौतेंग प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता मोटालाताले मोदिबा ने कहा कि 62 शव इतनी बुरी तरह जल गए थे कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया था. गौतेंग की फॉरेंसिक पैथोलॉजी सर्विसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थेम्बालेथु मपहलाजा ने गुरुवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इमारत के अवशेषों में कई अज्ञात मानव अंग पाए गए हैं और जांचकर्ताओं को यह स्थापित करने की जरूरत है कि क्या वे पहले से गिने गये पीड़ितों के अवशेष हैं या अन्य शवों के हिस्सा हैं. शहर के अधिकारियों ने कहा कि आग से मरे ज्यादातर लोगों को विदेशी नागरिक माना जा रहा है जो दक्षिण अफ्रीका में संभवत: अवैध रूप से रह रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके कारण उनकी पहचान करना और मुश्किल हो गया है.

इमारत के निवासियों के हवाले से स्थानीय मीडिया खबरों में कहा गया है कि मृतकों में से कम से कम 20 लोग दक्षिणी अफ्रीकी देश मलावी से थे. आग ने इमारत को तबाह कर दिया. जोहानिसबर्ग की इस इमारत को अधिकारियों ने खाली छोड़ा हुआ था और इसे गरीब और बेसहारा लोगों ने अपना बसेरा बनाया हुआ था. जोहानिसबर्ग के महापौर काबेलो ग्वामांडा ने कहा कि माना जाता है कि यह इमारत लगभग 200 परिवारों का घर था. इस तरह की अवधारणा जोहानिसबर्ग में आम है और इस तरह की इमारतों को ‘हाईजैक’ इमारत कहा जाता है.

मृतकों में कम से कम 12 बच्चे थे और 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें से पांच की हालत गंभीर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने बृहस्पतिवार को घटना स्थल का दौरा किया था. रामफोसा ने कहा कि यह त्रासदी आंशिक रूप से ‘आपराधिक तत्वों’ के कारण हुई, जिन्होंने इमारत पर कब्जा कर लिया था और बेघर, गरीब लोगों (जिनमें से कुछ दक्षिण अफ्रीकी थे तो कुछ प्रवासी विदेशी नागरिक) को रहने की जगह किराए पर दे रहे थे.

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