लखनऊ, 7 फरवरी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमला करते हुए बुधवार को सवाल किया कि सनातन धर्म की आस्था के तीन प्रमुख स्थलों अयोध्या, काशी और मथुरा का विकास आखिर किस मंशा से रोका गया था. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष पर तीखे शब्दबाण छोड़े. उन्होंने कहा, ‘‘गत 22 जनवरी को पूरे हिंदुस्तान और दुनिया के अंदर जहां कहीं भी हम देख रहे थे हर ओर से एक ही आवाज आ रही थी.
यह अद्भुत क्षण था. भारत के गौरव की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ है लेकिन प्रसन्नता इस बात की भी थी कि हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने जो कहा सो किया. जो संकल्प लिया उसकी सिद्धि भी की. हम केवल बोलते नहीं हैं करते भी. आज नव्य, भव्य और दिव्य अयोध्या को देखते हुए हर व्यक्ति अभिभूत है।यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
हम मानते हैं कि मंदिर का विवाद न्यायालय में था लेकिन वहां की सड़कों को तो चौड़ा किया जा सकता था. वहां के घाटों का पुनरुद्धार किया जा सकता था.’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अयोध्या वासियों को बिजली की आपूर्ति की जा सकती थी. वहां स्वच्छता की व्यवस्था की जा सकती थी. वहां स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं दी जा सकती थी. वहां हवाई अड्डा बनाया जा सकता था. विकास के इन कार्यों को किस मंशा के साथ रोका गया था? कौन सी मंशा थी कि अयोध्या का विकास ही अवरुद्ध कर दो, काशी का विकास ही अवरुद्ध कर दो, मथुरा वृंदावन के विकास को ही अवरुद्ध कर दो. यह तो मुद्दा नियत का है.''
आदित्यनाथ ने कहा, ''हमारी आस्था थी. नीति भी साफ थी और नियत भी बहुत स्पष्ट थी. अयोध्या को उसकी पहचान दिलाई गई है. अगर मैं अयोध्या और काशी गया हूं तो नोएडा और बिजनौर भी गया हूं. अयोध्या को इसलिए अभिशप्त कर दिया गया था क्योंकि वोट बैंक कट जाएगा, और लोग नोएडा और बिजनौर इसलिए नहीं जाते थे कि वहां जाने पर कुर्सी से उतर जाएंगे. हमने कहा कि इन चारों जगह पर तो हम जरूर जाएंगे.''
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के अभिभाषण पर उनका आभार प्रकट करते हुए विधानसभा में समाजवादी पार्टी और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के भाषण पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष के पूरे भाषण के दौरान मैं सदन में मौजूद था लेकिन मुझे आश्चर्य हो रहा था कि अब बोलेंगे तब बोलेंगे. वह इस सदी की सबसे बड़ी घटना (अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा) की तरफ भी ध्यान आकर्षित करेंगे लेकिन वह केवल ध्यान ही भटकाते रहे और जैसा कि अब तक होता रहा है कि वह तथ्यों और तर्कों से नहीं बल्कि अपनी बातों को जबरन दूसरों के मुंह पर थोपने का प्रयास करते रहे.’’
उन्होंने महर्षि वेदव्यास का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘महर्षि ने एक बात कही थी कि मैं बांहें उठा कर लोगों को समझा रहा हूं कि धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है, इसलिए क्यों नहीं धर्म के मार्ग पर चलते हो। पर कोई मेरी सुनता ही नहीं है. यह केवल वेद व्यास की पीड़ा नहीं थी. 2014 के पहले पूरे देश की और 2017 के पहले पूरे उत्तर प्रदेश की भी यही पीड़ा थी.’’ आदित्यनाथ ने पूर्ववर्ती सपा सरकार पर हमला करते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में जिन लोगों ने चार-चार बार शासन किया, एक लंबे समय तक सत्ता के सिंहासन पर विराजमान रहे, वे उत्तर प्रदेश को कहां लेकर गए थे.
उन्होंने उत्तर प्रदेश वासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया था. उसे कहीं नौकरी नहीं मिलती थी. इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है?'' उन्होंने कहा, ‘‘आज उत्तर प्रदेश ने 22 जनवरी 2024 की घटना (अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा) को भी देखा है पूरा देश अभिभूत था. पूरी दुनिया के अंदर हर वह व्यक्ति जो न्याय और सत्य का पक्षधर था, वह अभिभूत था। जिस उत्तर प्रदेश के नागरिकों को देखकर टिप्पणी हुआ करती थी, जहां कोई आना नहीं चाहता था आज देश और दुनिया का हर व्यक्ति उत्तर प्रदेश आने के लिए तैयार बैठा है.’’
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